कांग्रेस आलाकमान द्वारा राज्य मंत्रीमंडल में इस बहुप्रतीक्षित फेरबदल को हरी झंडी दिखाने के साथ राज्य के मुख्यमंत्री ने आज नौ कैबिनेट मंत्रियों और चार राज्य मंत्रियों को अपनी कैबिनेट में शामिल किया। आज राजभवन में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल ने नए मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। तनवीर सैत, के थिम्मप्पा, रमेश कुमार, बासवराज राया रेड्डी, एच वाई मेती, एस एस मल्लिकार्जुन, एम आर सीताराम, संतोष लाड और रमेश जरकिहोली को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। प्रियांक खड़गे, रूद्रप्पा लमनी, ईश्वर खंद्रे और प्रमोद माधवराज को राज्य मंत्री नियुक्त किया गया है। थिम्मप्पा और रमेश कुमार पूर्व विधानसभाध्यक्ष हैं जबकि खड़गे लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र हैं।
राज्य में विधानसभा चुनाव में दो साल रह गए हैं और मुख्यमंत्री पर प्रशासन में नई उर्जा लाने का दबाव था। हालांकि इस फेरबदल में हटाए गए कुछ मंत्रियों का असंतोष खुल कर सामने आ गया। वहीं उनके समर्थक हिंसा पर उतारू हो गए। उधर मंत्री बनने की उम्मीद लगाए कई विधायकों ने भी विधानसभा की सदस्यता छोड़ देने की धमकी दी है। शपथ ग्रहण के पहले मुख्यमंत्री ने 14 मंत्रिायों को पद से हटाने की सिफारिश की जिसे राज्यपाल वाजूभाई वाला ने स्वीकार कर लिया। इन मंत्रियों को उनका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहने या उनके विवादों में होने के कारण हटाया गया। जिन मंत्रिायों को हटाया गया उनमें कमरूल इस्लाम, शामनूर शिवशंकरप्पा, वी श्रीनिवास प्रसाद, एमएच अंबरीश, विनय कुमार सोराके, सतीश जारकिहोली, बाबूराव चिंचानसूर, शिवराज संगप्पा तांगदागी, एसआर पाटिल, मनोहर तहसीलदार, के अभयचंद्र जैन, दिनेश गुंडू राव, किमाने रत्नाकर, पीटी परमेश्वर नाइक शामिल हैं।
मंत्री पद से हटाए जाने पर अप्रसन्नता जताने वालों में अंबरीश, श्रीनिवास प्रसाद और इस्लाम शामिल थे। सिने अभिनेता रहे अंबरीश के समर्थकों ने बेंगलुरू-मैसूरू राजमार्ग को मांड्या जिले में जाम कर दिया। इस्लाम के समर्थक कालबुर्गी में तोड़फोड़ पर उतर आए और पथराव किया तथा सड़कों को जाम कर दिया। कई विधायकों के मंत्री पद नहीं दिए जाने से नाराज होने के बीच एस टी सोमशेखर ने दावा किया कि आठ विधायक विरोध में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं।हालांकि सिद्धारमैया ने कहा कि पार्टी सदस्यों में कोई असंतोष नहीं है। मुख्यमंत्री को कल पार्टी आलाकमान से फेरबदल के लिए हरी झंडी मिली थी। फेरबदल में मुख्यमंत्री ने जाति और क्षेत्र के समीकरण को संतुलित करने का प्रयास किया है। कर्नाटक में दो साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और कर्नाटक एकमात्र ऐसा प्रमुख राज्य है जहां कांग्रेस का शासन है।