शनिवार को अलगाववादियों द्वारा कश्मीर बंद का ऐलान किया किया गया है। दरअसल, राजस्थान से शुरू हुई चोटी कटने की अफवाह अब कश्मीर में भी पैर पसार चुकी है। इसे लेकर यहां लोगों में काफी आक्रोश है।
पिछले दिनों जम्मू कश्मीर में बारामुला जिले के सोपोर में पुलिस ने ‘मानसिक रूप से अस्वस्थ’ एक व्यक्ति को भीड़ की चंगुल से बचाया। हिंसक भीड़ चोटी कटवा होने के संदेह में उसकी हत्या करने पर उतारू थी। एनडीटीवी के मुताबिक, पुलिस के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि यहां से 52 किलोमीटर दूर सोपोर के फल मार्केट में स्थानीय लोगों की भीड़ ने कथित चोटी कटवा को घेर रखा है। उन्होंने बताया, “तत्काल पुलिस का एक दल घटनास्थल पहुंचा और देखा कि भीड़ एक व्यक्ति को बुरी तरह पीट रही है।”
घाटी में कथित तौर पर चोटी कटने की कई घटनाएं सामने आई हैं। जिसे लेकर अब राजनीति भी की जा रही है। सैय्यद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुख और यासिन मलिक जैसे नेताओं ने चोटी कटने की घटनाओं के खिलाफ घाटी में बंद का ऐलान किया है।
हिंदुस्तान के मुताबिक, जम्मू एवं कश्मीर में चोटी कटने की बढ़ती घटनाओं को खिलाफ अलगाववादियों के विरोध प्रर्दशन को रोकने के लिए शुक्रवार को अधिकारियों ने श्रीनगर के कुछ हिस्सों में प्रतिबंध लगाए हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “खानयार, रैनावाड़ी, नौहट्टा, एम.आर. गूंज, सफा कदल, करालखुद और मैसूमा में धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाए गए हैं। यह प्रतिबंध शहर में कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए हैं।”
कुछ लोगों का मानना है कि टेरर फंडिंग मामले में एनआईए की जांच अलगाववादियों की गर्दन तक पहुंच चुकी है। ऐसे में चोटी कटने की अफवाहों को हवा देकर अलगाववादी नेता राजनीति करना चाह रहे हैं।