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कश्‍मीर में सरकारी अधिकारी-पुलिस कर्मी भी हिंसा को हवा दे रहे

कश्मीर में हिंसा और बंद को सरकार के राजपत्रित अधिकारी और पुलिस कर्मी भी हवा दे रहे हैं। अलगाववादियों की मंशा को पूरा करने में अधिकारी बराबर मदद कर रहे हैं। ऐसे 150 सरकारी मुलाजिमों की अब तक पहचान की जा चुकी है। सूबे की सरकार ने हालांकि इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
कश्‍मीर में सरकारी अधिकारी-पुलिस कर्मी भी हिंसा को हवा दे रहे

सूत्रों ने बताया है कि सुरक्षा एजेंसियों की ओर से तैयार रिपोर्ट में सरकारी मुलाजिमों के हिंंसा व देश विरोधी रैलियों में शामिल होने की जानकारी का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ऐसे तत्वों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद जांच एजेंसियों ने जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकीमछली पालनस्वास्थ्य विभागवन विभागराजस्वस्टेट मोटर गैराजश्रीनगर नगर निगम और पर्यटन विभाग के 150 अफसरों-कर्मचारियों की पहचान की है। इनमें सबसे ज्यादा 40 शिक्षा विभाग से हैं।

सात राजपत्रित अधिकारियों में एक जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में इंजीनियर हैजबकि एक वित्त विभाग में लेखाधिकारी। कश्मीर विश्वविद्यालय के एक असिस्टेंट रजिस्ट्रार के अलावा एक कॉलेज लेक्चररएक बीडीओ और एक डिप्टी चीफ एजुकेशन आफिसर रैंक का अधिकारी भी इसमें शामिल है।

पत्थरबाजी और राष्ट्रविरोधी रैलियों में हिस्सा लेने व इनके आयोजन में अहम भूमिका निभाने वाले पुलिसकर्मियों में निसार डाररियाज गनईरियाज अहमदफिरदौस बटएजाज जरगरमुश्ताक के अलावा एक सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी अब्दुल रहमान वानी शामिल है। वानी जिला कुपवाड़ा का रहने वाला हैजबकि अन्य जिला बड़गाम से संबंधित बताए जाते हैं।

राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल सबसे ज्यादा 40 सरकारी अधिकारी जिला अनंतनाग से संबंधित हैं। श्रीनगर जिले से अब तक सिर्फ पांच ही सरकारी अधिकारियों के नाम हिसा भड़काने वाले तत्वों के साथ जुड़े हैं। गांदरबल से 20, कुपवाड़ा से 21 और पुलवामा जिले से 26 सरकारी अधिकारी व कर्मियों के नाम इस सूची में हैं।

अब पहले की अपेक्षा घाटी में हालात में काफी हद तक सुधार नजर आ रहा है। उत्तरी कश्मीर में हंदवाड़ा और श्रीनगर के तीन थाना क्षेत्रों के अलावा वादी में कहीं भी कर्फ्यू नहीं है। सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या दिनभर खूब रही। कई इलाकों में सुबह 11 बजे तक दुकानों के आधे शटर भी खुले रहे। शिक्षण संस्थान बेशक बंद रहेलेकिन सरकारी कार्यालय खुले थे और कर्मचारियों की उपस्थिति भी बीते दिनों से बेहतर थी।

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