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कश्मीर में महिला पत्रकार के खिलाफ यूएपीए के तहत केस, सोशल मीडिया पर देश विरोधी पोस्ट डालने का आरोप

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक महिला फोटो पत्रकार के खिलाफ उनके सोशल मीडिया पोस्ट के कारण अनलॉफुल...
कश्मीर में महिला पत्रकार के खिलाफ यूएपीए के तहत केस, सोशल मीडिया पर देश विरोधी पोस्ट डालने का आरोप

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक महिला फोटो पत्रकार के खिलाफ उनके सोशल मीडिया पोस्ट के कारण अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रीवेंशन एक्ट (यूएपीए) के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि साइबर पुलिस थाने को विश्वसनीय सूत्रों से सूचना मिली थी कि मसरत जहारा नाम की फेसबुक यूजर राष्ट्र विरोधी पोस्ट अपलोड कर रही थी, उनका इरादा प्रदेश में शांति के खिलाफ युवाओं को भड़काना था। कश्मीर प्रेस क्लब के अनुसार मसरत को मंगलवार को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया है।

कश्मीर प्रेस क्लब ने गृह मंत्री अमित शाह से जताया विरोध

26 साल की मसरत जहारा एक फ्रीलांस फोटो पत्रकार हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों के लिए काम किया है। उनके खिलाफ यूएपीए में केस दर्ज किए जाने का विरोध करते हुए कश्मीर प्रेस क्लब ने गृह मंत्री अमित शाह, लेफ्टिनेंट गवर्नर जीसी मुर्मू और डीजीपी दिलबाग सिंह से आग्रह किया है कि मसरत की प्रताड़ना बंद हो। पत्रकार संगठनों का कहना है कि ऐसे समय जब दुनिया कोविड-19 महामारी से लड़ रही है, यह बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने में व्यस्त है।

पुलिस के अनुसार पोस्ट से कानून व्यवस्था भंग होने का डर

पुलिस का कहना है कि फेसबुक यूजर ऐसे फोटोग्राफ अपलोड कर रही थी जिससे लोग भड़क सकते थे और कानून व्यवस्था भंग हो सकती थी। यूजर ऐसे पोस्ट लिख रही थी जिसमें राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को महिमामंडित किया जा रहा था और कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों की छवि बिगाड़ी जा रही थी। मसरत के खिलाफ 18 अप्रैल को कश्मीर स्थित साइबर थाने में केस दर्ज किया गया है और जांच की जा रही है।

‘5 अगस्त 2019 से कश्मीर में पत्रकारों की मुश्किलें कई गुना बढ़ीं’

कश्मीर प्रेस क्लब की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, “कश्मीर में पत्रकारिता करना कभी आसान नहीं रहा। 5 अगस्त 2019 से यहां पत्रकारों के लिए चुनौतियां और मुश्किलें कई गुना बढ़ गई हैं। कोविड-19 महामारी के समय भी पत्रकारों को थाने बुलाया जाता है और उनसे उनकी खबरों को लेकर पूछताछ की जाती है। ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां पत्रकारों को रिपोर्टिंग के लिए जाने पर परेशान किया गया। 19 अप्रैल को पुलिस ने एक राष्ट्रीय दैनिक के लिए काम करने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार को मौखिक आदेश देकर बुलाया और उसकी एक रिपोर्ट में तथाकथित गलत तथ्यों के बारे में पूछताछ की। उस पत्रकार ने श्रीनगर थाने में जाकर अपनी बात कही जहां उसे उसी शाम को 40 किलोमीटर दूर अनंतनाग के एक पुलिस अधिकारी के सामने हाजिर होने के लिए कहा गया।”

हर दिन नई ऊंचाई छू रही है पुलिस की प्रताड़नाः एसोसिएशन

एक और पत्रकार संगठन कश्मीर वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने कहा कि वह कश्मीर में पुलिस द्वारा पत्रकारों को लगातार प्रताड़ित किए जाने की निंदा और विरोध करती है। एसोसिएशन के अनुसार, “पत्रकारों पर पुलिस की प्रताड़ना हर दिन नई ऊंचाई पर पहुंचती जा रही है। पत्रकारों का काम समाज के हर पहलू को सामने लाना है, चाहे वह विवाद का हो या असंतोष का। लेकिन यहां पुलिस पत्रकारों को धमकी देती है, उनकी पिटाई करती है, उनके खिलाफ फर्जी मामले दर्ज करती है। ऐसा करके सरकार लोगों के प्रति अपने कर्तव्य की विफलता को दर्शा रही है। एसोसिएशन ने वरिष्ठ पत्रकार पीरजादा आशिक को प्रताड़ित किए जाने के मामले का भी संज्ञान लिया है, जिन्हें पहले पुलिस ने श्रीनगर थाने में बुलाया और उसके बाद अनंतनाग में। पीरजादा की एक रिपोर्ट से सरकार नाखुश थी।”

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