कठुआ मामले में आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म नहीं होने के दावों का जम्मू-कश्मीर पुलिस ने खंडन किया है। मीडिया के एक हिस्से में कथित पोस्टमार्टम रिपोर्टों के हवाले से कहा जा रहा है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था। इन खबरों को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सच्चाई से परे करार दिया है।
जम्मू पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मेडिकल एक्सपर्ट्स की राय के आधार पर इस बात की पुष्टि की जा चुकी है कि आरोपियों ने पीड़िता का सैक्शुअल असॉल्ट किया था। इसी के आधार पर मामले में सीआरपीसी की धारा 376 (डी) जोड़ी गई थी।
प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, बीते दिनों हीरानगर, कठुआ पुलिस थाने की 12.01.2018 को दर्ज एफआईआर संख्या 10/2018 के संदर्भ में पिछले दिनों प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में कई प्रकार की जानकारियां साझा की जा रही हैं। जांच की सभी कानूनी औपचारिकताओं के बाद इस मामले की आरोप पत्र संबंधित न्यायालय में जमा करवा दी गई है और जांच एजेंसी पूरक चार्जशीट भी जमा करवाने की प्रक्रिया में है। इस बीच बीते दो दिनों में मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर जानकारी/रिपोर्ट शेयर की जा रही है, जो सच से परे हैं।
Press release....Case FIR No 10/2018 dated 12.01.2018 Police Station Hiranagar Kathua. pic.twitter.com/ek2IsXDpsa
— J&K Police (@JmuKmrPolice) April 21, 2018
बता दें कि 10 जनवरी को कठुआ के रसाना गांव से आठ साल की एक लड़की गायब हो गई थी। बाद में उसका शव जंगल में मिला। पुलिस की चार्जशीट में बताया गया कि लड़की को एक देवस्थान में बंधक बनाकर रखा गया था। उसका सामूहिक बलात्कार करने के बाद हत्या कर दी गई। चार्जशीट के मुताबिक, बकरवाल समुदाय की इस बच्ची का अपहरण, बलात्कार और हत्या इलाके से अल्पसंख्यक समुदाय को भागने के मकसद से किया गया। इस मामले में आरोपियों के बचाव को लेकर विवादों से घिरने के बाद भाजपा के दो मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा। फिलहाल मामला साम्प्रदायिक रंग ले चुका है और पीड़िता के साथ दुष्कर्म को ही नकारने की कोशिशें की जा रही हैं।