यूपी के दादरी में गोमांस खाने के अफवाह में मारे गए अखलाक के परिजनों से मिलने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बिसहड़ा गांव पहुंचे। केजरीवाल ने अखलाक के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाया। अरविंद केजरीवाल के साथ आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह, आशुतोष, कुमार विश्वास भी मौजूद थे। इससे पहले बिसहड़ा पहुंचे केजरीवाल और उनके सहयोगियों को पुलिस ने गांव में प्रवेश करने से रोक दिया था। केजरीवाल और उनके साथ आए आम आदमी पार्टी के नेताओं को गांव में प्रवेश की इजाजत नहीं देते हुए स्थानीय जिला प्रशासन ने एनटीपीसी के गेस्ट हाउस पहुंचा दिया था। जिसपर रोष जताते हुए केजरीवाल के साथ आए आप नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने जानबूझ कर उन्हें गांव जाने से रोका है जबकि अन्य दलों के नेताओं को गांव में जाने से नहीं रोका गया। पुलिस द्वारा अखलाक के परिजनों से मिलने से रोके जाने पर अरविंद केजरीवाल ने खुद ट्वीट कर सवाल उठाया कि जब महेश शर्मा और असदउद्दीन ओवैसी को अखलाक के परिवार से मिलने से नहीं रोका गया तो फिर मुझे क्यों रोका जा रहा है, जबकि मैं तो सबसे अमनपसंद व्यक्ति हूं और सिर्फ अखलाक के परिवार से मिलना चाहता हूं।
अखलाक के गांव बिसहड़ा को स्थानीय पुलिस ने बैरीकेडिंग करके सील कर दिया है। पुलिस का कहना है कि अखलाक के परिजनों के आग्रह पर ही नेताओं को गांव में जाने की इजाजत नहीं दी गई। इससे पहले शनिवार की सुबह गांव के लोगों की झड़प वहां मौजूद मीडियाकर्मियों से हो गई थी। स्थानीय लोग गांव में मीडिया और नेताओं के जमावड़े से खासा नाराज बताए जा रहे हैं। इस बीच स्थानीय प्रशासल ने कहा कि अखलाक के परिवार की ओर से नेताओं से नहीं मिलने की इच्छा जाहिर की गई है। परिवार का कहना था कि मातम के इस माहौल में बार-बार नेताओं के आने और सवाल-जवाब करने से उन्हें खासी परेशानी हो रही है।
शुक्रवार को भी गांव में नेताओं का आना-जाना लगा रहा था। केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद महेश शर्मा ने अखलाक के परिजनों से मुलाकात की और अखलाक की हत्या को महज एक हादसा करार दिया। वहीं अपनी संवेदना जताने बिसहड़ा गांव पहुंचे एआईएमआईएम के नेता असदउद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर इस घटना के ऊपर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। ओवैसी ने शुक्रवार को बिसहड़ा में अखलाक के परिजनों से मुलाकात के बाद कहा कि अखलाक की हत्या गौमांस के कारण नहीं बल्कि उसकी धार्मिक आस्था के कारण की गई है। गौरतलब है कि 29 सितंबर को हुई घटना के बाद से गांव में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का तांता सा लगा हुआ है।