केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने घोषणा की कि केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के वित्त पोषण के प्रारूप को अंतिम रूप देने के लिए उनका मंत्रालय नीति आयोग के साथ काम कर रहा है। इसके बाद ही इसका औपचारिक निर्माण कार्य शुरू होगा।
उन्होंने कहा कि केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को वन्य जीव बोर्ड की मंजूरी मिलने के साथ इसके मार्ग में अंतिम अड़चन खत्म हो गई है। हालांकि अभी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इस परियोजना को अंतिम मंजूरी मिली बाकी है जो आमतौर पर हरित पैनल की सिफारिशों को ध्यान में रखती है।
उमा भारती ने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पहली नदी जोड़ो परियोजना (केन बेतवा) को हरित पैनल और आदिवासी मामलों के मंत्रालय से औपचारिक मंजूरी मिल गई। परियोजना को पहले ही वन्य जीव मंजूरी मिल चुकी है। पर्यावरण मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने 30 दिसंबर 2016 की बैठक में पूरी तरह से विचार करने के बाद परियोजना के पहले चरण पर सहमति व्यक्त की।
केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तब देश की विभिन्न नदियों को आपस में जोड़ने की 3० योजनाओं का सपना आंख खोलने लगेगा।
परियोजना को लेकर दो तरह के मत हैं जिसमें एक वर्ग का कहना है कि केन में अक्सर आने वाली बाढ़ से बरबाद होने वाला पानी अब बेतवा में पहुंचकर हजारों एकड़ खेतों में फसलों को लहलहाएगा। लेकिन यहीं सवाल उठता है कि क्या केन में इतना पानी है कि रास्ते में उपयोग के बाद अधिशेष पानी बेतवा को दिया जा सकेगा।
डीपीआर के मुताबित, उत्तरप्रदेश को केन नदी का अतिरिक्त पानी देने के बाद मध्यप्रदेश करीब इतना ही पानी बेतवा की ऊपरी धारा से निकाल लेगा। परियोजना के दूसरे चरण में मध्यप्रदेश चार बांध बनाकर रायसेन और विदिशा जिलों में सिंचाई का इंतजाम करेगा।
इस प्रस्तावित जलाशय के डूब क्षेत्र में छतरपुर जिले के 12 गांव प्रभावित होंगे जिसमें पांच आंशिक रूप से और सात गांव पूर्ण रूप से प्रभावित होंगे। यहां पर दो बिजली संयंत्र भी बनाने का प्रस्ताव है। परियोजना के तहत 220 किलोमीटर लंबी नहर भी निकालने की बात कही गई है जो मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी जैसे जिलों से गुजरेंगे।
डीपीआर में कहा गया है कि इसके पूरा होने पर ये बड़ी मात्रा में खेतों को सीचेंगी। इसमें पानी के उपयोग के बाद भी केन नदी से बेतवा नदी को पानी देने की बात कही गई है। डीपीआर में कहा गया है कि पुनर्वास और आर्थिक रूप से बसाने जिसमें प्रशिक्षण और कालोनियों के लिए भूमि प्रदान करना शामिल है, के लिए 213.11 करोड़ रुपये की वित्तीय आवश्यकता है।
केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किलोमीटर उत्तर की ओर बढ़़ने के बाद बांदा जिले में यमुना में मिलती है। बेतवा नदी मध्यप्रदेश के राससेन जिले से निकलकर 576 किलोमीटर बहने के बाद उत्तरप्रदेश के हमीरपुर में यमुना में मिलती है। इन दोनों की सहायक नदियों पर पहले से ही कई बांध बने हुए हैं। (एजेंसी)