सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर देश की शीर्ष अदालत में मामले की सुनवा चल रही है। केरल सरकार ने कहा था कि रीति-रिवाजों को न्यायिक प्रक्रिया के द्वार नहीं बदला जा सकता। लेकिन अब उसने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर राजी है। इस मामले की अगली सुनावाई 20 फरवरी 2017 में होगी।
मासिक धर्म शुरू हो जाने के सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश नहीं मिलता है। इसलिए 10 साल से ऊपर की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलता। मासिक धर्म खत्म होने के बाद 50 साल से ऊपर की महिलाएं मंदिर में प्रवेश की अधिकारी होती हैं। राज्य सरकार ने कहा था कि धार्मिक मामलों में कानूनी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए और इसका फैसला पुजारियों को लेने देना चाहिए। मान्यता है कि भगवान अयप्पन कुंवारे थे इसलिए महिलाओं को मंदिर में नहीं जाना चाहिए। हाल ही में त्र्यंबकेश्वर मंदिर और हाजी अली में प्रवेश के लिए भी महिलाओं को अनुमति मिल गई है।