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केरल जैसी हिंसा बीजेपी शासित राज्य में होती, तो अवॉर्ड वापसी शुरू हो जाती: जेटली

जेटली ने कहा कि अगर केरल जैसी हिंसा बीजेपी शासित राज्य में होती तो अवॉर्ड वापसी शुरू हो जाती। केरल क्राइम ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 सालों में राज्य में 100 राजनैतिक हत्याएं हो चुकी हैं।
केरल जैसी हिंसा बीजेपी शासित राज्य में होती, तो अवॉर्ड वापसी शुरू हो जाती: जेटली

केरल में आरएसएस कार्यकर्ता के बाद पनपे तनाव के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली आज तिरुअनंतपुरम पहुंचे। जेटली ने आरएसएस कार्यकर्ता राजेश के परिवार से मुलाकात की, जिसकी 29 जुलाई को कथित तौर पर केरल में सीपीआई (एम) कार्यकर्ताओं ने हत्या कर दी थी। जेटली उन कार्यकर्ताओं के परिवारवालों से भी मुलाकात की जो कथित तौर पर ऐसी हिंसा में घायल हो गए थे।

बता दें कि बीजेपी केरल में संघ कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के लिए सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाती रही हैं। बीजेपी के सदस्यों ने हाल ही में संसद में राज्य में राजनीतिक हिंसा का मुद्दा उठात हुए कहा था कि "केरल एक किलिंग फील्ड बनता जा रहा है।"

राजेश के परिवार से मुलाकात के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा, "मैंने अभी हमारे मृतक कार्यकर्ता राजेश के परिवार से मुलाकात की, जिन्हें बहुत ही निर्मम तरीके से मार डाला गया। इस तरह की हिंसा न तो केरल में विचारधारा को दबा सकती है और न ही हमारे कार्यकर्ताओं को डरा सकती है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि जेटली इस मामले से संबंधित एक रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी सौंप सकते हैं।

इतने निर्दयी तो दुश्मन भी नहीं होते 

जेटली ने कहा कि अगर केरल जैसी हिंसा बीजेपी शासित राज्य में होती तो अवॉर्ड वापसी शुरू हो जाती। उन्होंने कहा, "राजेश एक कमजोर तबके के व्यक्ति थे। वह एक गरीब परिवार से आते थे और अब उनके बिना उनके परिवारवालों का पेट पालने के लिए कोई नहीं है। उनकी हत्या करने के लिए उन पर 70-80 वार किए गए। इतने निर्दयी तो दुश्मन भी नहीं होते हैं, जितने निर्दयी राजेश की हत्या करने वाले थे। पिछले कुछ महीने में हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले हुए हैं और उनके घरों को भी आग के हवाले कर दिया गया है।"

जेटली ने आगे कहा कि केरल में इस तरह ही हिंसा को रोकना राज्य सरकार का कर्तव्य ही नहीं जिम्मेदारी भी है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ताओं पर पूरी साजिश के साथ हमला किया जा रहा है, और ये गंभीर मामला है। राज्य पुलिस को इस रोकने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए और दोषियों को किसी तरह से राहत नहीं मिलनी चाहिए।

विजयन सरकार हिंसा को रोकने में विफल

जेटली ने कहा कि अगर राज्य सरकार केंद्र से हिंसा तरह की हिंसा रोकने के लिए किसी तरह मदद मांगती है तो उनकी सरकार हरसंभव मदद करेगी. लेकिन हिंसा पर काबू करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, और पुलिस को निष्पक्ष होकर अपनी भूमिका निभानी है। जेटली ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से केरल में जो माहौल पनपा है कोई किसी पर हमला कर देता है, ये देश के दूसरे हिस्से में कहीं नहीं है। इसे रोकना राज्य सरकार का काम है, लेकिन लगता है कि ये सबकुछ राजनीतिक संरक्षण की वजह से केरल में हो रहा है। ये चिंता का विषय है।

जेटली ने राजेश के परिजनों से मुलाकात के बाद ऐसे हमलों की निंदा की और कहा कि राजेश के बलिदान से पार्टी का हर कार्यकर्ता प्रेरणा लेगा। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से इस मुश्किल वक्त में राजेश के परिजनों के साथ खड़े होने की अपील की।

वित्त मंत्री ने पिनरायी विजयन सरकार पर हिंसा को रोक पाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुये कहा कि पिछले कुछ महीनों में कुछ पार्टी दफ्तरों तथा सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं पर हमले हुये हैं। माकपा अपने कार्यकर्ताओं का उपयोग राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को समाप्त करने में कर रही है।

केरल में राजनैतिक हत्याओं का अतीत

गौरतलब है कि केरल में बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों के बीच खूनी संघर्ष का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन हाल के वर्षों में ऐसे संघर्षों के आंकड़े में तेजी से उछाल आया है। 1960 के दशक से कन्नूर ज़िला राजनीतिक हिंसा की गिरफ्त में हैं। एक आंकड़े के अनुसार कन्नूर की हिंसा में अब तक 210 लोग मारे जा चुके हैं।

केरल क्राइम ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 सालों में राज्य में कम-से-कम 100 राजनीतिक हत्याएं हो चुकी हैं। इनमें से ज्यादातर घटनाएं उत्तरी केरल के मालाबार इलाके के कन्नूर और थलासरी में हुई हैं। इनमें से ज्यादातर घटनाएं उत्तरी केरल के मालाबार इलाके के कन्नूर और थलासरी में हुई हैं। पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री विजयन के विधानसभा क्षेत्र में सीपीएम के कार्यकर्ता मोहनन की हत्या के दो दिन बाद ही रमित की हत्या कर दी गई थी। दोनों पार्टियों ने अपने-अपने कार्यकर्ताओं की हत्या के लिए दूसरे पर आरोप लगाए थे।

हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले ने आरोप लगाया था कि केरल में आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या के लिए सीपीएम ज़िम्मेदार है। उनका कहना था कि पिछले 13 महीने में 14 आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो चुकी हैं। दोनों संगठनों के शीर्ष नेताओं ने अपने कैडरों से हिंसा नहीं करने की अपील की है लेकिन इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है। कुछ महीनों पहले केरल के दौरे पर गए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दशकों से चले आ रहे खूनी संघर्ष को रोके जाने की अपील की थी।

इसी साल मई महीने में राज्य के मुख्यमंत्री विजयन के विधानसभा क्षेत्र में सीपीएम के कार्यकर्ता मोहनन की हत्या के दो दिन बाद ही रमित की हत्या कर दी गई थी। दोनों पार्टियों ने अपने-अपने कार्यकर्ताओं की हत्या के लिए दूसरे पर आरोप लगाए थे।

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