राजस्थान का तकरीबन पूरा हिस्सा आजकल एक नई तरह की अफवाह से जूझ रहा है। आदिवासी जिले बांसवाड़ा से शुरू हुई यह अफवाह राजधानी जयपुर तक पहुंच गई। इसके चलते गांवों में महिलाएं खुले में सोने से कतराने लगी हैं। अलग-अलग जिलों में अब तक करीब 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें महिलाओं के सोते हुए बाल काटने, सिंदूर लगाने, पेट पर त्रिशूल बनाने जैसी बातें लोगों की जुबां पर बनी हुई हैं।
चिकित्सकीय भाषा में यह एक बीमारी है
कथित रूप से बाल कटने के बाद अस्पतालों में भर्ती हो रहीं महिलाओं की विरोधाभाषी बातों और उनके तमाम टेस्ट करने के बाद डॉक्टरों का कहना है कि ये बातें न केवल मनगढ़न्त हैं, बल्कि चिकित्सकीय जांच में भी खरी नहीं उतरती हैं। सोशल मीडिया पर जारी बहस के बीच पुलिस प्रशासन पूरी मुस्तैदी से इन घटनाओं की तह तक जाने का प्रयास कर रहा है। महिलाओं में फैली इस अफवाह में एक समानता जान पड़ती है। सभी के बाल काटे जा रहे हैं, लेकिन सिर्फ शुरुआती चोटी को काटा जाता है, पूरे बाल किसी भी महिला के नहीं काटे गए हैं। जिन महिलाओं ने यह शिकायत की है, वो सभी या तो गांव से संबंध रखती हैं, या फिर अनपढ़ अथवा कम पढ़ी लिखी हैं। डॉक्टर इसको एक बीमारी मानते हैं। मनोचिकित्सक डॉ. रधुनाथ प्रसाद व डॉक्टर देवेंद्र दाधीच का कहना है कि इस बीमारी को मेडिकल की भाषा में डिसोसिएटिव कंवर्जन डिसआॅर्डर कहते हैं, यह बीमारी महिलाओं में मानसिक तनाव के चलते होती है।
गांव से शुरू हुई अफवाह शहर को जकड़ने लगी है
बांसवाड़ा में आए दिन इस तरह के मामले थानों और अस्पतालों के लिए सिरदर्द बन रहे हैं। उदयपुर में कई घटनाएं होने के बाद महिलाओं में भय व्याप्त है। इसके साथ ही बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर, नागौर, टोंक, कोटा और जयपुर में भी बाल काटने और सिंदूर लगाने के बाद तारीख लिखकर मौत आने की बातें गांवों में सबसे बड़ा इश्यू बनी हुई हैं। सीकर में इस तरह की आधा दर्जन घटनाएं सामने आ चुकी हैं। अस्पतालों में भर्ती चार महिलाओं की जांच की गई। डॉक्टरों ने सभी को सामान्य बताते हुए महज कुछ ही घंटों में डिस्चार्ज कर दिया।
साधुओं पर शक, पुलिस बरत रही है सतर्कता
बाल काटने के साथ ही कुछ महिलाओं ने साधु के भेष में लोगों के गांवों में दिखने की बातें कही हैं। जिसके बाद भगवा भेष में घूमने वाले साधु—संतों को भी शक की निगाह से देखा जा रहा है। कई जगह ऐसे साधुओं के साथ गांव के लोगों की झड़पे भी सूनने को मिली हैं। हालांकि जिन महिलाओं के साथ इस तरह की घटना घट रही है, उसमें किसी व्यक्ति विशेष को चिन्हित नहीं किया जा सका है। मजेदार बात ये है कि इस तरह की एक भी कहानी पुरुषों के साथ नहीं हुई है। राजधानी जयपुर के नजदीक पहुंचे इस तरह के मामलों के बाद कमिशनरेट ने विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर तरह तरह की फोटोज और वीडियो शेयर कर अफवाहों को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसपर पुलिस ने नकेल कसने की तैयारी कर ली है।
सोशल मीडिया सभी पोस्ट फर्जी हैं
आईटी विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर भेजे जा रहे हैं, उनकी पहचान करना बेहद आसान है। आईटी एक्सपर्ट दिलीप सोनी का कहना है कि फोटोशॉप करने के बाद कुछ असामाजिक तत्व इस तरह की फोटो फेसबुक, व्हाटस्एप्प और अन्य माध्यमों के लोगों को भेज रहे हैं। सोनी का कहना है कि आईपी एड्रेस से ट्रैक करके ऐसे लोगों को आसानी से चिन्हित किया जा सकता है।
अकेली महिलाओं का आना—जाना भी हुआ मुश्किल
अफवाह चाहे झूठ हो या सच, लेकिन महिलाओं को आजादी का पक्षधर बनने की ओर समाज में एक नए तरह का भय होने से औरतों और बच्चियों पर कई जगह पाबंधी लगाने की बातें हो रही हैं। कई गांवों में तो हालात यह है कि कोई महिला अकेली नहीं निकल रही है। पढ़ने वाली लड़कियों को स्कूल भेजने में भी आनाकानी हो रही है। औरतों की सोते वक्त भी निगरानी रखने की बातें हो रही हैं। बाहरी जिलों में इस तरह का माहौल महिलाओं के लिए नई मुसीबत बनकर सामने आया है।