भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी है। इसे लेकर एनआईए ने महाराष्ट्र के डीजी को पत्र भी लिखा है। केंद्र सरकार के इस फैसले से महाराष्ट्र और केंद्र सरकार में ठन गई है। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2018 के कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले की जांच को राज्य सरकार की सहमति के बिना एनआईए को ट्रांसफर किया गया है।
महाराष्ट्र सरकार ने की निंदा
वहीं, गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भीमा कोरेगांव मामले को लेकर केंद्र सरकार की निंदा की है। उन्होंने ट्वीट करते हुआ कहा है कि जब हम मामले की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे, तो बिना हमसे बात किए केंद्र सरकार ने यह मामला एनआईए को दे दिया, मैं इस कृत्य की निंदा करता हूं।
राज्य सरकार को एनआईए ने किया सूचित
एनआईए ने राज्य सरकार को सूचित किया कि वे इस मामले को संभाल रहे हैं। इस मामले की जांच कई राज्यों में फैली हुई है। इससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने जांच में शामिल पुलिस अधिकारियों की बैठक बुलाई थी ताकि जांच के विस्तार को समझा जा सके।
ठाकरे ने की थी एसआईटी गठित करने की मांग
बता दें कि हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर एल्गार परिषद् की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की थी। इससे पहले केंद्र सरकार ने जांच एनआईए को ट्रांसफर कर दिया।
महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की सरकार बनने के बाद से भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच नए सिरे से किए जाने की मांग सत्तारूढ़ दल के नेता करते रहे हैं।
जानें क्या है मामला
पुणे जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास एक जनवरी 2018 को हिंसा हुई थी। हर साल बड़ी संख्या में दलित यहां आते हैं। पुलिस ने दावा किया था कि पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद में भड़काऊ भाषणों के कारण हिंसा हुई। बाद में तेलुगू कवि वरवर राव और सुधा भारद्वाज सहित वामपंथी झुकाव वाले कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।
बता दें कि पुणे ग्रामीण पुलिस ने एक जनवरी को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिडे सहित 163 लोगों को नोटिस जारी किया था। कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में आरोपी मिलिंद एकबोटे पर आरोप है कि उन्होंने कोरेगांव भीमा में 2018 में हिंसा भड़काई थी। इस मामले में पुणे ग्रामीण पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। बाद में पुणे की अदालत ने आरोपी मिलिंद एकबोटे को अप्रैल 2018 में कुछ शर्तों के आधार पर जमानत दे दी थी। जनवरी 2019 में मिलिंद एकबोटे पर लगाई गईं पाबंदिया हटा ली गई थीं।