मुख्यमंत्री रावत ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, उधम सिंह नगर जिले में 2011-2016 के बीच प्रस्तावित एनएच-74 के लिए कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण में 240 करोड़ रुपये मूल्य की अनियमितताएं सामने आई हैं। चुनिंदा लोगों और लाभार्थियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से खेती की जमीन को गैरकृषि भूमि दिखाकर मुआवजे की रकम पर 20 गुना ज्यादा फायदा कमाया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सवालों के घेरे में आई अधिकांश जमीन उधमसिंह नगर जिले के जसपुर, काशीपुर, बाजपुर और सितारगंज में स्थित है।
उन्होंने कहा कि इस तरह से होने वाले हेर-फेर की रकम का आंकड़ा और बढ़ेगा क्योंकि अभी सिर्फ 18 मामलों की जांच की गई है जबकि कई और मामलों की जांच बाकी है।
इसे बड़ा घोटाला बताते हुए रावत ने कहा कि उन्होंने इस अनियमितता की सीबीआई जांच के लिए अपनी सिफारिश केंद्र को भेज दी है। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इसके पीछे किसी राजनीतिक दल का हाथ लगता है, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जांच का विषय है और कुछ भी कहना अभी बेहद जल्दबाजी होगा। उन्होने हालांकि कहा कि जो भी दोषी पाया जाएगा फिर चाहे वह राजनीतिक रूप से कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा कि छह अधिकारियों को घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए निलंबित किया गया है जबकि सातवें अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी जो सेवानिवृत्त हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन अधिकारियों को निलंबित किया गया है उनमें विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह और अनिल कुमार शुक्ला के अलावा उप जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह जंगपंगी, जगदीश लाल, भगत सिंह फोनिया और एन एस नांग्याल शामिल हैं।
रावत ने कहा कि एक अन्य उप जिलाधिकारी हिमालय सिंह मारतोलिया के भी इस घोटाले में शामिल होने की आशंका है लेकिन उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी होगी क्योंकि वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं।