यह तर्क भी दिया गया है कि आदिवासी हिन्दू नहीं होते हैं, बल्कि उनके रीति-रिवाज सारे अलग हैं। इस परचे के बाद संघ और भाजपा में हलचल है।
सरकार भी अपने स्तर पर परचे छापने के पीछे की ताकतों को खोज रही है। बैतूल में आठ फरवरी को हिन्दू सम्मेलन होगा। इसमें भीड़ जुटाने सत्ता और संगठन एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इसी बीच मांझी अंतरराष्ट्रीय समाजवाद संगठन और आदिवासी राजनीतिक संगठन ने आदिवासियों को हिन्दू सम्मेलन में नहीं जाने की सलाह दी है।
परचे में कहा गया है कि आदिवासी हिन्दू नहीं है, इसलिए सम्मेलन का हिस्सा नहीं बने। सम्मेलन में दो लाख की भीड़ जुटाने का दावा है, इसके लिए संघ और उसके अनुषांगिक संगठन गांव-गांव अलख जगा रहे हैं, लेकिन विरोध से चिंता बढ़ गई है।