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मणिपुर में अपना आधार पाने की कोशिश में वाम दल

मणिपुर में इस बार विधानसभा चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) राज्य में अपने खोए आधार को वापस पाने की कोशिश में लगा हुआ है। एक समय ऐसा था जब मणिपुर की राजनीति में वाम दलों का दबदबा हुआ करता था।
मणिपुर में अपना आधार पाने की कोशिश में वाम दल

भाकपा के राज्य सचिव और एलडीएफ के समन्वयक एम नारा सिंह ने कहा, किसी समय राज्य में हम बड़ी ताकत हुआ करते थे। हमारे पास बड़ी संख्या में सीटें होती थी और राज्य में सरकार के गठन में हमारा विशेष दखल हुआ करता था, लेकिन यह बीते समय की बातें हो चुकी हैं। अब हमें शून्य से शुरूआत करनी होगी। हम राज्य में खोए आधार के लिए लड़ रहे हैं और इसमें अन्य धर्मनिरपेक्ष दल तथा लोकतांत्रिक दल हमारा सहयोग कर रहे हैं।

वहीं, माकपा के वरिष्ठ नेता सांतो ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि हम वर्ग संघर्ष को खत्म करना चाहते हैं। यही हमारे अभियान का आधार भी है।

गौरतलब है कि मणिपुर में जननेता हिजाम के नाम से चर्चित हिजाम इराबोत सिंह के नेतृत्व में वाम आंदोलन का लंबा इतिहास रहा है, लेकिन अब ये दल राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने तक के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

राज्य में जारी उग्रवाद और जातीय संघर्ष के कारण वाम दल काफी प्रभावित हुए हैं। माकपा, भाकपा और अन्य समान विचारधारा वाले दलों ने लेफ्ट एंड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के नाम से एक मोर्चे का गठन किया है।

वाम दलों ने नेशनल पीपल्स पार्टी के साथ भी चुनावी तालमेल किया है। 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में वह मिलकर 50 सीटों पर लड़ रहे हैं। वाम दलों में भाकपा का दबदबा है। भाषा

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