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मॉब लिंचिंग पर उम्र कैद और 25 लाख की सजा, लिंचिंग पैड के नाम से बदनाम झारखंड में बना सख्‍त कानून

रांची। देश में 'लिंचिंग पैड' के नाम से चर्चित झारखंड में हेमन्‍त सरकार ने इसकी रोक थाम के लिए सख्‍त...
मॉब लिंचिंग पर उम्र कैद और 25 लाख की सजा, लिंचिंग पैड के नाम से बदनाम झारखंड में बना सख्‍त कानून

रांची। देश में 'लिंचिंग पैड' के नाम से चर्चित झारखंड में हेमन्‍त सरकार ने इसकी रोक थाम के लिए सख्‍त कानून बनाया है। मंगलवार को मॉब लिंचिंग से संबंधित 'झारखंड भीड़, हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक 2021' को विपक्ष के वाकआउट के बीच विधानसभा से मंजूरी मिल गयी। राज्‍यपाल के हस्‍ताक्षर के बाद यह प्रभावी होगा। इसके क्रियान्‍वयन के लिए जल्‍द ही इससे संबंधित नियमावली बनानी होगी। विधेयक के प्रावधान के अनुसार मॉब लिंचिंग में मौत होने पर आरोपियों को सश्रम उम्र कैद के साथ 25 लाख रुपये का जुर्माना भी भरना होगा। इस विधेयक से जुड़े अपराध गैर जमानतीय होंगे।
भाजपा की रघुवर सरकार के दौरान विपक्षी देश में लिंचिंग पैड के रूप में इसे पेश करते थे। झारखंड का तबरेज हत्‍या कांड हो या रामगढ़ में व्‍यवसायी अलीमुद्दन हत्‍या का, देश-विदेश में इसकी चर्चा हुई। राजनीतिक दलों के सांप्रदायिक ध्रुविकरण के कारण यहां सांप्रदायिक तनाव के मामले अकसर आक्रामक रूप में सामने आ जाते हैं। प्रतिबंधित मांस बेचने, ढोने, खाने के मामलों को लेकर अकसर मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आती हैं। मगर चोरी की छोटी मोटी घटनाओं, बच्‍चा चोर के अफवाह में भी भीड़ तंत्र कानून अपने हाथ में लेकर तत्‍काल न्‍याय सुना देती है। यह पुलिस प्रशासन पर घटते भरोसा का भी नतीजा हैं। हालांकि यह सिर्फ अल्‍पसंख्‍यक और बहुसंख्‍यक का मामला नहीं है। आदिवासी इलाकों में डायन बिसाही, झाड़-फूंक, जादू-टोना के शक में भी आये दिन लोग कानून को हाथ में लेकर हत्‍या और प्रताड़ना की घटना को अंजाम देते हैं। कई बार तो गांव में पंचायत बैठकर ही हत्‍या का फरमान सुना देती है। देखना होगा कि इस तरह के मामलों में यह कानून किस तरह काम करता है और कितना प्रभावी होता है, क्‍योंकि डायन प्रथा के खिलाफ पहले से कानून बना हुआ है मगर हत्‍या की घटनाएं भी नियमित होती रहती है।
2019 में प्रदेश के सरायकेला खरसावां जिले धतकीडीह गांव में 24 साल के तबरेज अंसारी की चोरी के शक में पीटकर हत्‍या कर दी गई थी। उसे बिजली के खंबे में बांधकर बुरी तरह पीटा गया। उसकी पत्‍नी शइस्‍ता परवीन का कहना है कि मुसलमान होने के बावजूद हमलावर भीड़ ने जय श्रीराम और जय बजरंगबली का नारा लगाने के लिए बाध्‍य किया। जून 2017 में रामगढ़ के व्‍यवसायी अलीमुद्दीन अंसारी उर्फ असगर अली की गाड़ी में प्रतिबंधित मांस होने की आशंका में पीटकर मार डाला था। मामला संसद में भी उठा। स्‍पेशल फास्‍ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई। मार्च 2018 में 11 लोगों को दोषी ठहराते हुए अदालत नें उम्र कैद की सजा सुनाई। बाद में हाई कोर्ट से अनेक लोगों को जमानत मिल गई थी। इस तरह के कई और बहुचर्चित घटनाएं रहीं जिसमें मामूली विवाद, संदेह में भीड़ ने पीटकर हत्‍या कर दी। इसी साल मार्च महीने में राजधानी रांची में ट्रक चोरी के आरोप में भीड़ ने सचिव कुमार वर्मा की बांधकर इतनी पिटाई की कि उसकी मौत हो गई। बाद में खबर आई कि पार्किंग विवाद से मामला जुड़ा था। मार्च में ही बाइक चोरी के इल्‍जाम में रांची में ही मोबारक खान की पीटकर हत्‍या कर दी थी।
बहरहाल झारखंड विधानसभा से पास विधेयक में भी पश्चिम बंगाल की तरह सख्‍त प्रावधान किये गये हैं। प्रावधान के अनुसार दो या दो से अधिक व्‍यक्ति किसी मॉब लिंचिंग की घटना को अंजाम देते हैं और पीड़‍ित की मौत हो जाती है तो सश्रम आजीवन कारावास के साथ 25 लाख रुपये तक के जुर्माना का प्रावधान किया गया है। अगर कोई मॉब लिंचिंग के षडयंत्र में शामिल होता है, प्रेरित करता है, सहायता करता है तो उसके लिए भी उम्र कैद का प्रावधान किया गया है। रोक थाम के लिए पुलिस महानिदेशक स्‍तर के अधिकारी को नोडल अफसर नियुक्‍त किया जायेगा। नोडल अफसर महीने में कम से कम एक बार जिलों में स्‍थानीय खुफिया इकाई के साथ बैठक करेंगे। जिला स्‍तर पर एसपी या एसएसपी को आर्डिनेटर की भूमिका में रहेंगे। मॉब लिंचिंग की घटना में सिकी को गंभीर चोट आती है तो दोषी को 10 साल से उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। तीन से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। उकसाने वाले को दोषी मानते हुए तीन साल की सजा और तीन लाख रुपये तक के जुर्माना का प्रावधान किया गया है। साक्ष्‍य नष्‍ट करने वाले को भी दोषी मानकर एक साल की सजा और 50 हजार रुपये तक के जुर्माना का प्रावधान है। विधेयक के प्रावधानों को लेकर विपक्षी सदस्‍यों ने आपत्ति भी की। भाजपा इसे प्रवर समिति को सौंपने की मांग कर रही थी। सरकार की ओर से उत्‍तर देते हुए संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में यह कानून लाया गया है। उन्‍होंने कहा कि झारखंड में 2016 से अब तक 56 लोग मॉब लिंचिंग के शिकार हुए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष राजेश ठाकुर ने विधानसभा से विधेयक पास होने पर प्रसन्‍नता जाहिर की है। कहा कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में मॉब लिंचिंग की रोक थाम के लिए कड़े कानून लाने का वादा किया था।

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