उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में एअरपोर्ट के निकट 54 एकड़ की सरकारी भूमि पर एक गौशाला है। नाम है उसका ‘कान्हा उपवन’। मुलायम सिंह के छोटे बेटे प्रतीक यादव और उनकी पत्नी अपर्णा अब इस गौशाला का संचालन नहीं करेंगी। रविवार से नगर निगम यह जिम्मेदारी संभालेगा। इससे निगम के सालाना दो करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च होंगे।
इस साल मार्च में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनने के बाद से ही यह गौशाला कई मौकों पर चर्चा में रहा है। पहली बार 31 मार्च को योगी के पहुंचने के बाद यह गौशाला सुर्खियों में आया। फिर पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार द्वारा मानकों के विपरीत इस गौशाला का संचालन करने वाली एनजीओ ‘जीव आश्रय’ को सरकारी मदद देने की बात सामने आई। यह एनजीओ अपर्णा चलाती हैं।
योगी सरकार ने एनजीओ की मदद बंद कर मामले की जांच के आदेश दे दिए। इससे गोशाला में रह रहे दो हजार से ज्यादा पशुओं के चारे और कर्मचारियों को वेतन देने में कठिनाई होने लगी थी। मुलायम के बेटे-बहू ने गोशाला का संचालन करने में असमर्थता व्यक्त की। नियमाें के विपरीत फायदा पहुंचाने का मामला सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर को आरटीआइ कानून के तहत मिली जानकारी से सामने आया था। इसमें बताया गया था कि अखिलेश सरकार के दौरान जीव आश्रय को उप्र गौ सेवा योग द्वारा प्रदेश के गौशालाओं को आवंटित धनराशि में से कुल 86 फीसदी रकम मिली। योग द्वारा आवंटित कुल 9.66 करोड़ में से जीव आश्रय को 8.35 करोड़ रुपए मिले। अखिलेश शासनकाल के प्रथम तीन वर्षों (2012-15) में तो केवल जीव आश्रय को ही धन आवंटित किया गया था। उल्लेखनीय है कि प्रतीक पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सौतेले भाई हैं।