लखनऊ के प्राचीन शिव मंदिरों में से एक मनकामेश्वर मंदिर में रविवार को तब सांप्रदायिक सौहार्द्र और हिंदू-मुस्लिम एकता की नई मिसाल देखने को मिली। जब इस मंदिर में रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया। यह आयोजन सामाजिक भाई-चारा स्थापित करने के लिए किया गया था। मनकामेश्वर मंदिर की महंत दिव्या गिरी ने राजधानी में पहली बार रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया।
पहली बार किसी महिला महंत के द्वारा यह पहल की गई है। यह कार्यक्रम गोमती नदी के किनारे स्थित मनकामेश्वर मंदिर के उपवन घाट पर आयोजित हुआ। इसमें बड़ी तादाद में सभी मजहबों के लोगों ने शिरकत की।
सुबह से ही तैयारियों में जुटे बावर्ची और सहायक
रमजान महीने में रोजा इफ्तार के लिए मंदिर के तीन बावर्ची और उनके सहायक सुबह से ही तैयारियों में जुट गए। इस दौरान रोजेदारों को कॉफी, ब्रेड कटलेट, केला, प्याज और आलू के कटलेट समेत कई अन्य व्यंजन परोसे गए। इस कार्यक्रम में शिया और सुन्नी समुदाय के सभी वरिष्ठ मौलवियों को अपनी ओर से आमंत्रित किया गया था।
हम लोगों के मन में कोई भेदभाव नहीं है: महंत दिव्य गिरी
महंत दिव्यागिरी ने कहा कि जिस तरह से दिखाया जाता है समाज में, लेकिन हम लोगों के मन में कोई भेदभाव नहीं है। रोजा इफ्तार सब लोगों को करना चाहिए। जब वह लोग बड़े मंगल पर प्रसाद तकसीम कर सकते हैं तो हम लोग रोजा इफ्तार क्यों नहीं कर सकते।
सरयू कुंज मंदिर में हुआ था इफ्तार का आयोजन
हाल ही में 4 जून को अयोध्या में विवादित स्थल के बगल में स्थित 500 साल पुराने सरयू कुंज मंदिर में भी मुस्लिमों के लिए इफ्तार का आयोजन हुआ था। यह आयोजन अयोध्या के हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और शांति के प्रतीक के रूप में किया गया था।
मंदिर के इतिहास से मंहत ने कराया रुबरू
शहर में पहली बार किसी मंदिर में इफ्तार पार्टी के आयोजन पर मनकामेश्वर की महंत देव्यागिरि ने मंदिर के इतिहास से रूबरू कराते हुए कहा, 'ऐसा कहा जाता है कि मंदिर प्रागैतिहासिक काल में अस्तित्व में आया था और लक्ष्मण जी मंदिर में पूजा-पाठ करते थे। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होती है।'