मधुपुर विधानसभा उप चुनाव के लिए मंगलवार को नामांकन के अंतिम दिन आजसू से भाजपा में शामिल हुए गंगा नारायण सिंह ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया। इसके साथ ही यह तस्वीर साफ हो गई कि चुनावी मैदान में यूपीए के हफीजुल अंसारी और गंगा नारायण सिंह के बीच सीधी टक्कर होगी। नामांकन के साथ ही भाजपा को घर से मिलने वाली चुनौती भी सामने आ गई। पिछले चुनाव में यहां दूसरे पायदान पर रहे राज पलिवार नामांकन सभा से गायब रहे। पलिवार यहां से दो टर्म विधायक और रघुवर सरकार में श्रम मंत्री रहे हैं। जबकि अब भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू से गंगा नारायण तीसरे पायदान पर थे। सीट की दावेदारी को लेकर चली खींचतान के बाद भाजपा ने गंगा नारायण को पिछले सप्ताह भाजपा में शामिल कर टिकट पकड़ा दिया।
हेमन्त सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे हाजी हुसैन अंसारी की पिछले साल तीन अक्टूबर को मौत के बाद यह सीट खाली हो गई थी। हेमन्त सोरेन ने हाजी हुसैन के बड़े पुत्र हफीजुल को मैदान में उतारा है। कुछ माह पूर्व ही इस सीट पर संशय को दूर करते हुए बिना विधायक बने हफीजुल अंसारी को न सिर्फ हेमन्त कैबिनेट में मंत्री बना दिया गया बल्कि अल्पसंख्यक कल्याण सहित महत्वपूर्ण विभाग भी पकड़ा दिये गये। भाजपा नेतृत्व को भरोसा था कि पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रूप में राज पलिवार को हासिल कैडर वोट और गंगा नारायण को हासिल वोट मिल जायेंगे तो भाजपा उम्मीदवार की जीत का रास्ता साफ हो जायेगा। इसी साल दुमका और बेरमो विधानसभा उप चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को पराजय मिली है। ऐसे में भाजपा का पूरा जोर है कि मधुपुर सीट जीत कर हेमन्त सरकार पर मानसिक दबाव बनाया जाये। यह भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का भी सवाल है। गंगा नारायण को भाजपा में शामिल कराने के बाद ही तस्वीर साफ हो गई थी कि ये ही भाजपा से उम्मीदवार होंगे। तब कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने चुटकी ली थी कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा के पास नेताओं की कमी है। उधार के नेताओं से काम चलाया जा रहा है। बाहर से आये बाबू लाल मरांडी को भाजपा ने विधायक दल का नेता बनाया, अब मधुपुर के लिए भी आजसू से गंगा नारायण को आयातित किया है। वहीं भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी ने आज नामांकन सभा में हाजी हुसैन के पुत्र हफीजुल को मंत्री बनाकर उम्मीदवार बनाये जाने पर अपनी टिप्पणी को दोहराया कि तमाड़ सीट से शिबू सोरेन भी बिना विधायक बने मुख्यमंत्री के रूप में उप चुनाव लड़े थे मगर एक किसान के बेटे ने पराजित कर दिया था। हफीजुल तो सिर्फ मंत्री बने हैं। और भी तीखे आरोप-प्रत्यारोप के तीर चले। मगर चुनावी सभा में राज पलिवार की गैर मौजूदगी ने भाजपा की धड़कनें बढ़ा दी हैं। हालांकि सभा में प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, विधायक दल नेता बाबूलाल मरांडी, गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे, दुमका सांसद सुनील सोरेन, सांसद अन्नपूर्णा देवी सहित भाजपा के अनेक बड़े नेता मौजूद थे। राज पलिवार की गैर मौजूदगी ने उनकी नाराजगी का एहसास सीधे तौर पर पार्टी को करा दिया है। गांगा नारायण के भाजपा के शामिल होने के बाद भी राज पलिवार इलाके में लोगों के साथ बैठकें कर उन्हें टटोलते रहे। मीडिया में खबरें भी आईं कि राज पलिवार के कार्यकाल में ही इलाके में सर्वाधिक विकास के काम हुए। राज पलिवार ने सोशल मीडिया पर इशारों इशारों में अपनी भावना जाहिर कर दी है। 24 घंटे में अपने दो फेसबुक पोस्ट में लिखा--राम राम जी, '' दुनिया का उसूल है जब तक काम है तब तक तेरा नाम है, वरना दूर से सलाम है। एक अन्य पोस्ट में लिखा कि '' कर न सके हम प्यार का सौदा कीमत कुछ ऐसी थी- बुरा न मानो होली है''। 29 मार्च को ट्वीटकर के अपने इस पोस्ट में उन्होंने अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी टैग किया है। चार दिन पहले अपने फेसबुक पोस्ट में शायराना अंदाज में संदेश दिया है दिल से.. '' मुसाफिर कल भी था मुसाफिर आज भी हूं, कल अपनों की तलाश में था, आज अपनी तलाश में हूं । दो टर्म विधायक और मंत्री और पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे पलिवार की इलाके में पैठ तो रही ही है। देखना यह है कि पार्टी उन्हें किस तरह मना पाती है और 17 अप्रैल को होने वाले चुनाव में पलिवार फैक्टर का क्या असर होता है।