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एमपी: दिमागी बुखार से आठ बच्चों की मौत, महज 20 बेड पर हो रहा था 32 बच्चों का इलाज

"मध्य प्रदेश में मासूमों की मौत, पांच दिन में आठ बच्चों की जिला अस्पताल में मौत" मध्य प्रदेश के...
एमपी: दिमागी बुखार से आठ बच्चों की मौत, महज 20 बेड पर हो रहा था 32 बच्चों का इलाज

"मध्य प्रदेश में मासूमों की मौत, पांच दिन में आठ बच्चों की जिला अस्पताल में मौत"

मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले शहडोल में मासूमों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले पांच दिनों में वहां पर आठ बच्चों की मौत हो चुकी है। डाक्टरों का दावा है कि बच्चों की मौत दिमागी बुखार की वजह से हो रही है। दूसरी ओर सरकारी जांच दल ने पाया कि अस्पताल में बीस बेड की संख्या में 32 बच्चों को रखा गया था, वहीं पर लापरवाही से मौत हुई। यहां महत्वपूर्ण यह की चार बच्चों की मौत के बाद मुख्यमंत्री ने आपात समीक्षा भी की और जांच दल भी भेजा किन्तु मौत का सिलसिला रुक नहीं रहा है।

पिछले हफ्ते से जिला अस्पताल में बच्चों की मौत शुरू हुई। बीते पांच दिन में 8 बच्चों की जान जा चुकी है। इनमें चार ऐसे रहे, जो दो से पांच दिन पहले अस्पताल में भर्ती हुए थे। सरकार की ओर से आये जांत दल ने डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी है। जांच दल ने माना कि डॉक्टर सही उपचार दे रहे हैं। स्टॉफ-नर्स की कमी जरूर है, जगह भी कम है, जिसे बढ़ाना होगा। उनका मानना है कि हर साल मौसम परिवर्तन के समय ऐसी स्थिति बनती है। पिछले सप्ताह निमोनिया से पीड़ित बच्चे आए, अब संख्या घटी है। 

इस साल जनवरी 2020 में इसी अस्पताल में छह मासूमों की मौत हो चुकी है। तब भी हल्ला मचा तो तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट मौके पर पहुंचे थे। इस बार भी आठ मासूम लापरवाही की भेंट चढ़ चुके हैं।

सात की मौत निमनिया से हुई

अस्पताल के दावे के अनुसार ही जांच दल ने भी पाया कि आठ में से सात बच्चे भर्ती होते वक्त निमोनिया से पीड़ित थे, जबकि एक नवजात की मौत डिलेवरी के दौरान गंदा पानी पीने से हुई है। बहरहाल, सोमवार देर रात तीन माह की उम्र के दो और शिशुओं की मौत हो गई थी, उसके बाद मंगलवार को भी मौत नहीं थमी।

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