यूनीसेफ ने अपनी ताजा रिपोर्ट, मिलेनियम डवलपमेंट गोल में कहा है कि मध्य प्रदेश में गरीबों की संख्या 2.28 करोड़ है जो पाकिस्तान के गरीबों की संख्या के बराबर है। यहां पर लैंगिक असमानता का स्तर भी ज्यादा है। अगर शिशु मृत्युदर की बात की जाए तो यह दर भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल से भी ज्यादा है। यानी सरकार इस मसले पर बिलकुल विफल रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश अभी भी गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते दशक में पूरे देश में गरीबों की संख्या में 23.3 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन मध्य प्रदेश में यह कमी मात्र 11.1 प्रतिशत ही दर्ज की गई है। सामाजिक विभागों पर राज्य सरकार अपने बजट का 39 प्रतिशत खर्च करता है जबकि छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, और उत्तर प्रदेश क्रमशः 46, 45, 42, 41 प्रतिशत राशि खर्च करते हैं। देखा जाए तो मध्य प्रदेश केवल अफगानिस्तान से एक मामले में बेहतर साबित हुआ है और वह है स्वच्छ पेयजल और साफ-सफाई।