मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार लोगों को ज्यादा शराब पिलाना चाह रही है। इसी वजह से शराब दुकानों की संख्या में बड़ा इजाफा करने पर विचार किया जा रहा है। प्रदेश में नकली शराब की बिक्री पर लगाम लगाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। हालांकि यही शिवराज सरकार है जिसने कुछ समय पहले नर्मदा किनारे शराब दुकानें बंद करने और नई शराब दुकानें न खोलने का फैसला किया था।
नई दुकानों को खोलने की पीछे सरकार का तर्क है कि पड़ोसी राज्यों में मध्य प्रदेश की तुलना में प्रति लाख आबादी में कहीं ज्यादा दुकानें है। मध्य प्रदेश में उनकी तुलना में संख्या काफी कम है। राजस्थान में एक लाख की आबादी पर 17, महाराष्ट्र में 21 और उत्तर प्रदेश में 12 दुकानें हैं, जबकि मध्यप्रदेश में यह संख्या सिर्फ चार है। इस वजह से नकली शराब का कारोबार तेजी से पनप रहा है। लोगों को शराब खरीदने के लिए दूर तक जाना पड़ता है। इसका फायदा नकली शराब बनाने वाले उठा रहे है। मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में नकली शराब पीने से चालिस से अधिक लोगों की मौंत हो चुकी है।
विपक्षी कांग्रेस ने पटलवार करते हुए राज्य सरकार के इस कदम की आलोचना की है। कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि कुछ समय पहले तक मुख्यमंत्री यह कह रहे थे कि प्रदेश में एक भी नई दुकानें नहीं खोली जायेंगी तो अचानक से ऐसा क्या हो गया कि गृह मंत्री नई दुकानें खोलने की बात कह रहे है। वास्तव में जहरीली शराब से होने वाली मौतों में शामिल माफिया को बचाने के लिए इस तरह की बेतुके तर्क दिये जा रहे है।
दूसरी ओर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि दुकानें बढ़ाने का फैसला कमलनाथ सरकार के द्वारा लिया गया था। छह जनवरी 2020 में उन्होंने अधिसूचना जारी कर पांच किलोमीटर के दायरे में दुकानें खोलने का फैसला किया था। इसके अलावा फरवरी में आॅनलाइन बेचने की बात भी उनकी सरकार की ओर से कही गई, इसलिए इस फैसले की आलोचना करना गलत है। पिछले दस साल से राज्य में कोई नई दुकानें नहीं खुली है।