मध्यप्रदेश में सोमवार को 19 साल बाद हुए छात्र संघ चुनाव हंगामों, विवादों और पुलिस की लाठियों के बीच संपन्न हो गए है हालांकि मुख्य मुकाबला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के बीच ही रहा, लेकिन इस बार कुछ कॉलेजो में निर्दलीय छात्रों के भी चुनाव जीतने की खबर है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने लगभग 75 प्रतिशत सीटों पर और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने 325 कॉलेजो में उनके पैनल के जीतने का दावा किया है।
वहीं छात्र संघ चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी का दावा की तीन कॉलेजो में उसके पैनल जीतने में कामयाब रहे हैं।
कल प्रदेश के 457 सरकारी कालेज और 76 अनुदान प्रापत अशासकीय कालेजों और 7 विश्वविद्यालयों के लिए सुबह 8 बजे से कक्षा प्रतिनिधि के लिए चुनाव सम्पन हुए पर राजधानी सहित प्रदेश के अलग-अलग कॉलेजो में मारपीट और हंगामे की घटनाएं भी हुईं। कई कॉलेजो में पुलिस ने छात्रों को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग के साथ लाठी चार्ज का भी सहारा लिया।
हंगामे के चलते, दमोह जिले के जबेरा , जबलपुर के गोविंदराम सेकसरिया कॉमर्स एंड मैनेजमेंट में चुनाव रद्द कर दिए गए। वहीं, बड़वानी में कॉलेज के बाहर आदिवासी छात्र संगठन ने जमकर हंगामा कर चुनाव का बहिष्कार किया और धरने पर बैठ गए और चुनाव निरस्त करने की मांग करते रहे। टीकमगढ़ में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता यादवेंद्र सिंह के बेटे शाष्वत सिंह और भतीजे समेत आठ लोगों पर एक छात्र के अपहरण का मामला सामने आया है।
किसने क्या कहा?
‘’तीन कॉलेजो में आप की पैनेल ने जीत दर्ज़ की है। हमारे 6 अध्यक्ष , 4 उपाध्यक्ष, 5 सचिव सहित 90 कक्षा प्रतिनिधि जीते हैं।‘’- आलोक अग्रवाल, प्रदेश संयोजक, आप।
‘’5 विश्वविद्यालयों में पूर्ण बहुमत हासिल की है। एन एस यू आई को प्रदेश से उखाड़ फेंका है।‘’ - बंटी चौहान, प्रदेश मंत्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्।
‘’अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के दावे खोखले हैं। हमारे कक्षा प्रतिनिधि ज्यादा जीते है, पर प्रोफेसर्स के दबाब में उन्होंने क्रॉस वोटिंग की है।‘’- विवेक त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन