उदय के तहत यह समझौता होने तक 16 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। अब महाराष्ट्र ऐसा 17वां राज्य बना है। इन राज्यों के संबंध में पुनर्गठित किये जाने वाले केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की बकाया राशियों सहित संयुक्त डिस्कोम ऋण लगभग 2.57 लाख करोड़ रुपये होगा जो 30 सितंबर 2015 के अनुसार कुल बकाया डिस्कोम ऋण का लगभग 68 प्रतिशत है।
उदय में भागीदारी अपना कर महाराष्ट्र को कुल मिलाकर लगभग 9725 करोड़ रुपये का निवल लाभ होगा जिसमें सस्ती निधि, एटी एण्ड सी हानियों में कटौती ऊर्जा दक्षता के उपाय तथा कोयला सुधार आदि का मुख्य योगदान रहेगा। उदय के तहत महाराष्ट्र सरकार ने चालू वर्ष के दौरान लगभग 6600 करोड़ रुपये के डिस्कोम नॉन-कैपेक्स ऋण का 75 प्रतिशत भार उठाने का वचन दिया है। डिस्कोम के बकाया बचे ऐसे 25 प्रतिशत ऋण को बांड या सस्ती दरों पर रिप्राइज किया जाएगा। इससे राज्य / डिस्कॉम का ब्याज भार 595 करोड़ तक कम हो जाएगा।
अनिवार्य वितरण ट्रांसफार्मर मीटरिंग, उपभोक्ता अनुक्रमण और हानियों के लिए जीआईएस मैपिंग, ट्रांसफार्मर व मीटर का उन्नयन/ परिवर्तन, बड़े उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर के अलावा एटी एंड सी हानि और ट्रांसमिशन हानियों को कम किया जाएगा। इसके अलावा राज्य सरकार और डिस्कॉम द्वारा डिस्कॉम की परिचालक दक्षता बढ़ाने के लिए उपाय किए जायेंगे जिससे विद्युत की आपूर्ति की लागत में कमी आएगी। केंद्र सरकार डिस्कॉम और राज्य सरकार को राज्य में विद्युत के ढांचे में सुधार करने और विद्युत लागत को और कम करने के लिए प्रोत्साहन देगी।