बताया जा रहा है कि कश्मीर पुलिस सेवा के फिर से गठन करने के मसले पर उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह और भाजपा के बाकी मंत्री विरोध कर रहे थे। हालांकि बाद में महबूबा की नारजगी दूर करने के लिए भाजपा के मंत्री उनसे मिलने तुरंत उनके आवास पहुंचे। भाजपा और पीडीपी ने सन 2014 में विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में गठबंधन की सरकार बनाई थी। महबूबा के पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद ने इस गठबंधन को आकार दिया था। माना जा रहा है कि महबूबा अपने पिता के गठबंधन को और आगे ले जाना नहीं चाहती हैं।
महबूबा सचिवालय छोड़कर अपने आवास में उस वक्त गुस्से में चली गईं जब कैबिनेट की बैठक में कुछ प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारियों के तबादले प्रस्तावित थे। बैठक में कश्मीर पुलिस सर्विस (केपीएस) अधिकारियों को आईपीएस के समकक्ष लाने का प्रस्ताव रखा गया था। भाजपा के मंत्रियों खास तौर पर उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने यह कहते हुए इस प्रस्ताव का विरोध किया कि आईपीएस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षा से गुजर कर आते हैं जबकि कश्मीर पुलिस राज्य स्तर पर। ऐसे में दोनों को एक स्तर पर नहीं रखा जा सकता।