रांची। झारखंड सरकार प्रवासी कामगारों की सुरक्षा की गारंटी करेगी। सरकार की समझ है कि काम की तलाश में पलायन को उपेक्षा की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि जीवन की बेहतरी के लिए यह उपयोगी है। राज्य के बाहर काम की तलाश में जाने वाले श्रमिकों के सामाजिक, आर्थिक और कानूनी हक सुनिश्चित किए जाएंगे। इसी मकसद से सेफ एंड रिसपांसिबल माइग्रेशन इनिशिएटिव की शुरुआत की गई है।
गुरुवार को कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि जीवन के बेहतरी के लिए गरीब, मजदूर, किसान, नौजवान, हम-आप माइग्रेट करते हैं। झारखंड से भी रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर श्रमिकों का दूसरे राज्यों एवं देशों में पलायन होता है, परंतु आज तक प्रवासी श्रमिकों के सुरक्षित और जवाबदेह पलायन के लिए कोई ठोस नीति अथवा व्यवस्था नहीं बनाई गई है। वर्तमान राज्य सरकार का प्रयास है कि झारखंड से जो भी श्रमिक एवं अन्य लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य अथवा देशों में जाते हैं, उनका पूरा डाटा बेस तैयार कर सके और नीति के तहत उन्हें विपत्ति के समय मदद पहुंचा सकें। कोरोना संक्रमण काल में झारखंड के लिए माइग्रेशन बहुत बड़ा और बहुत ही चिंतनीय विषय महसूस हुआ है। वैश्विक संक्रमण ने कई चीजों पर हमें विचार करने के लिए बाध्य किया है। महामारी के समय कुछ अच्छी चीजें और कुछ बुरी चीजों को दृष्टिगत रखते हुए पलायन से संबंधित विशेष नीति बनाने की जरूरत महसूस हुई। महामारी ने कई पहलुओं पर सोच-विचार करने के रास्ते खोले हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के अधिसंख्य मजदूर एक निश्चित समय-सीमा के लिए पलायन करते हैं। उनके साथ क्या बीतता है यह कोरोना काल के समय एहसास हुआ है। लॉकडाउन के समय अचानक देश और दुनिया में अधिकतर चीजें थम सी गई। विशेषकर कमजोर वर्ग के श्रमिकों के लिए वह दौर काफी पीड़ादायक रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक संक्रमण काल में भी राज्य सरकार ने कंट्रोल रूम की स्थापना कर प्रवासी मजदूरों को हर संभव सहायता प्रदान करने की कोशिश की है। जो मजदूर वापस घर आना चाहते वापस लाया गया। कभी-कभी प्रवासी श्रमिकों की मौत की खबर आती है। दुर्भाग्यवश किसी प्रवासी श्रमिक की मृत्यु होती है तो राज्य सरकार पार्थिव शरीर को वापस उनके घर लाने की व्यवस्था करेगी तथा अंत्येष्टि का पूरा खर्चा राज्य सरकार ही वहन करेगी। इसके लिए सभी जिलों में कॉरपस फंड की व्यवस्था की जा रही है।
श्रमिकों के संरक्षण के लिए ई-श्रम पोर्टल कारगर
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्य के प्रवासी मजदूरों को संरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा ई-श्रम पोर्टल बनाया गया है। इस पोर्टल के तहत प्रवासी श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है ताकि विपत्ति के समय राज्य सरकार उन्हें तत्काल मदद पहुंचा सके। उन्होंने प्रवासी श्रमिकों से अपील की कि इस पोर्टल में वे अपना रजिस्ट्रेशन अवश्य कराएं। वैसे प्रवासी श्रमिक जो दूसरे देशों में काम करते हैं उन्हें कैसे संरक्षित कर सके इस निमित्त केंद्र एवं राज्य सरकार के बीच समन्वय स्थापित करने की भी आवश्यकता है।
महिला श्रमिकों को टेक्सटाइल इंडस्ट्री में मिला रोजगार
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के बाद ऐसा भी देखा गया कि सैकड़ों प्रवासी मजदूर राज्य सरकार की योजनाओं से जुड़े हैं तथा बेहतर जीविकोपार्जन कर रहे हैं। हाल के दिनों में पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या में भी कमी भी आयी है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश इत्यादि राज्यों से रेस्क्यू कर लाई गई युवतियों एवं महिलाओं को भी टेक्सटाइल इंडस्ट्री में रोजगार देने का काम राज्य सरकार ने हाल के दिनों में किया है। 2 हजार नियुक्ति पत्र टेक्सटाइल इंडस्ट्री में बांटे गए थे, जिसमें 80% महिलाएं थीं। इन सभी को दूसरे राज्यों की अपेक्षा ज्यादा वेतन एवं सुविधाओं से जोड़ने का काम किया गया है।
स्किल यूनिवर्सिटी की होगी स्थापना
हेमन्त सोरेन ने कहा कि कौशल विकास के तहत हुनर एवं रोजगार की बेहतर व्यवस्था तलाशने का काम सरकार निरंतर कर रही है। उद्योग, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित कई ऐसे संसाधन हैं जिससे रोजगार सृजन किए जा सकते हैं। इन संसाधनों को आधुनिक बनाकर अधिक से अधिक रोजगार सृजन सरकार की प्राथमिकता है। राज्य सरकार स्किल यूनिवर्सिटी स्थापित किए जाने को लेकर विचार कर रही है। जल्द ही राज्य में स्किल यूनिवर्सिटी की भी स्थापना की जाएगी।
इस अवसर पर श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में संक्रमण काल में झारखंड ने सबसे बेहतर कार्य कर दिखाया है। राज्य में आज तक प्रवासी श्रमिकों का सही-सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं था, परंतु हमारी सरकार ने वैश्विक महामारी के दौरान एक-एक प्रवासी श्रमिकों का डाटाबेस तैयार करने का काम किया है।
इस अवसर पर राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि ह्यूमन माइग्रेशन के कई पहलू हैं। माइग्रेशन सिर्फ नकारात्मक ही नहीं बल्कि सकारात्मक भी होता है। माइग्रेशन पुराने जमाने से चला आ रहा है। कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से में रह सकता है। लोग जीवन की बेहतरी के लिए पलायन करते हैं। राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों के पलायन को सुरक्षित बनाने हेतु पॉलिसी बनाने का काम किया है। यह नई पहल मजदूरों के सुरक्षित पलायन में मील का पत्थर साबित होगी।
तीन जिलों के लिए पायलट प्रोजेक्ट
वर्तमान में सेफ एंड रिसपांसिबल माइग्रेशन इनिशिएटिव पायलट प्रोजेक्ट के तहत दुमका, पश्चिमी सिंहभूम तथा गुमला के श्रमिकों के पलायन को ध्यान में रखकर नीति बनाई गई है। इन तीन जिलों से दिल्ली, केरल और लेह-लद्दाख इत्यादि जगहों में रोजगार के लिए गए प्रवासी श्रमिकों का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। इन सभी राज्यों से समन्वय स्थापित कर प्रवासी श्रमिकों के सामाजिक, आर्थिक और कानूनी हक सुनिश्चित किए जाएंगे। प्रवासी श्रमिकों का किसी भी प्रकार से शोषण न हो सके इस निमित्त नियम बनाई गई है। शुरुआती दौर में इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद व्यवस्था के दायरे को और बड़ा बनाया जा सकेगा।