ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में रोज 24 बलात्कार, 21 बलात्कार के प्रयास, 13 हत्याएं, 33 अपहरण, 19 दंगे और 136 चोरियां होती हैं। प्रदेश में प्रतिदिन अपराध की छोटी-बड़ी मिलाकर 7650 घटनाएं होती हैं। इसका मतलब है कि एक साल में अपराध की 27,92,250 घटनाएं होती हैं। ये हिसाब तब है जबकि कई मामले तो पुलिस में दर्ज तक नहीं होते।
समाज
पिछले 4 सालों के सपा राज में पांच अपराधों बलात्कार, हत्या, दंगे, अपहरण और दहेज हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश पूरे भारत में शीर्ष पर पहुंच गया है। मायावती के शासन काल में तीन अपराधों में प्रदेश शीर्ष पर था। एनसीआरबी मुताबिक, पिछले 4 साल में यूपी में अपराध की 93 लाख से ज्यादा घटनाएं हुईं हैं। इनमें भी 71 फीसदी अपराध सपा के विधायक, नेताओं या अखिलेश सरकार में अब तक बने मंत्रियों के जिलों में हुए हैं। सबसे ज्यादा 2.78 लाख अपराध की घटनाएं लखनऊ में हुईं हैं। यहां 9 में से 7 विधायक सपा के हैं और इनमें से 3 राज्य सरकार में मंत्री हैं।
ब्यूरो के आंकड़े शायद भाजपा को भी रास न आएं। ब्यूरो के अनुसार राज्य में सबसे अधिक दंगे भाजपा और बसपा विधायकों के इलाके में हुए हैं। पिछली बसपा सरकार में 22347 दंगे हुए थे और अखिलेश सरकार में ये आंकड़ा बढ़कर 25007 हो गया। पिछले 1 साल में सबसे ज्यादा दंगे क्रमश: आगरा, गोरखपुर और आजमगढ़ में हुए हैं। आजमगढ़ को छोड़कर (10 में से 9 विधायक सपा के) बाकी जिलों में सपा से ज्यादा विधायक बसपा या भाजपा के हैं।
मायावती सरकार की तुलना में अखिलेश सरकार में अब तक क्राइम में 16% इजाफा हुआ है।
वैसे सपा सरकार का कहना है कि क्राइम का आंकड़ा इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि सपा सरकार में मुक़दमे दर्ज किये जा रहे हैं जबकि मायावती के राज में मुकदमे दर्ज ही नहीं होते थे।