तीनों नगर निकायों में सबसे ज्यादा उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने 12 सितंबर तक डेंगू के 776 मामले दर्ज किए जबकि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने इसी अवधि में तकरीबन 500 मामले दर्ज किए और पूर्वी दिल्ली में 150 से ज्यादा मामला सामने आये हैं। पिछले दिनों में एसडीएमसी के लाजपत नगर, संगम विहार, श्रीनिवासपुरी और लाडो सराय जैसे अधिकार क्षेत्र में बच्चों सहित कई लोगों की डेंंगू से जान जाने के मामले आए हैं।
लाजपत नगर में रहने वाले 80 वर्षी जेसी बक्शी ने कहा, क्या वाकई में एमसीडी इस बारे में गंभीर है? शायद ही किसी को छिड़काव के लिए भेजा गया है। इस साल मामला खौफनाक स्तर पर पहुंचने के बाद भी वह चीजों को हल्के में ले रहे हैं। लाजपत नगर की रहने वाली मोनिका बहल की मूलचंद अस्पताल में मौत हो गई। डेंगू शाॅक सिंडोम के कारण मोनिका के विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। मौसम की शुरूआत में डेंगू की चपेट में आने वाले दक्षिण दिल्ली में बेर सराय के निवासी गोपाल झा का कहना है कि डेंगू ने इलाके को बुरी तरह चपेट में लिया। कई लोग बुखार, डेंगू या अन्य चीजों से पीडि़त हैं। लेकिन सिर्फ एक दो बार ही छिड़काव हुआ है।
पूर्ववर्ती एमसीडी के तीन भागों में बंटने के बाद तीनों निगमों- एनडीएमसी, एसडीएमसी और ईडीएमसी ने डेंगू की रोकथाम के लिए अपने-अपने तरीके से उपाय किये हैं और एसडीएमसी इस घातक बीमारी संबंधी आंकड़ों के लिए नोडल एजेंसी की भूमिका में है। दक्षिणी दिल्ली के अलावा शहर के उत्तरी और पूर्वी हिस्से के लोगों ने भी नगर निकायों द्वारा पर्याप्त छिड़काव नहीं किये जाने की शिकायत की। दक्षिण दिल्ली के किशनगढ़ इलाके में रहने वाले प्रकाश के रे ने कहा, 2010 में मची हलचल के बाद डेंगू के उभार और इसके इस तरह फैलने के बारे में अंदाजा था, जब 6,000 से ज्यादा मामले अए थे। इसके बाद भी आप देख सकते हैं कि एमसीडी अभी भी तैयारियों में ही जुटा है। और इस साल बीमारी के प्रसार ने इसकी पोल खोल दी है।
वर्ष 2010 में डेंगू का व्यापक प्रकोप देखने को मिला था। आधिकारिक तौर पर आठ लोगों की मौत हुई थी और कम से कम 6,259 मामले दर्ज किए गए थे। दक्षिणी दिल्ली के मेयर सुभाष आर्य ने कहा, हमने शहर के कई हिस्सों में छिड़काव किया है। डेंगू लार्वा जांच करने वालों तथा फील्ड वर्करों की संख्या बढ़ा दी गयी है। हम बीमारी को और आगे फैलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।