मध्य प्रदेश सरकार ने न्यायिक जाँच आयोग का समय सात अगस्त से बढ़ाकर छह नवंबर 2017 तक कर दिया है। सरकार द्वारा यह निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में लिया गया। 'मंत्रि-परिषद ने केंद्रीय जेल भोपाल के आठ विचाराधीन बंदियों के भागने की घटना की न्यायिक जाँच के लिए गठित आयोग के कार्यकाल में तीन माह की वृद्धि कर दी है। निर्णय के मुताबिक अब जांच आयोग अपनी जांच छह नवंबर, 2017 तक पूरी कर सकता है। यह जानकारी आज मध्यप्रदेश सरकार के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने दी।
उल्लेखनीय है कि भोपाल की जेल से 30-31 की दरमियानी रात को एक गार्ड की हत्या कर फरार हुए सभी कैदियों को पुलिस ने शहर के बाहरी इलाके में एक एनकाउंटर में मार गिराया था। यह एनकाउंटर भोपाल से तक़रीबन 12 किलोमीटर दूर ईंटखेड़ा गांव में हुआ था।
प्रशासन का कहना था कि जेल से फरार होने से पहले इन कथित सिमी आतंकियों ने ड्यूटी पर तैनात गार्ड रमाशंकर यादव की हत्या की। हत्या के लिए कैदियों ने कोई धारदार वस्तु का इस्तेमाल किया। फिर चादर के सहारे जेल की दीवार फांद कर फरार हो गए थे। इस बीच भोपाल एनकाउंटर पर सवाल तब गहरा गए जब इस एनकाउंटर से जुड़े कई वीडियो सोशल साइट्स पर आए और उसके बाद एनकाउंटर पर सवाल उठाए जाने लगे।
एक तरफ पुलिस जहां अपने दावों को सही ठहरा रही थी वहीं, मारे गए लोगों के परिजनों के साथ तमाम अन्य लोग पूरे वारदात पर संदेह व्यक्त कर रहे थे। घटना के तीन दिन बाद ( ३ नवंबर ) मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न्यायिक जांच करवाने की घोषणा की। और जांच की जिम्मेदारी मप्र उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जस्टिस एसके पांडे को सौंपी।