पेशे से चिकित्सक आदिवासी नेता डॉ. धनेश्वर नाग ने कहा, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह कार्यक्रम हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार किया जा रहा है, जबकि आदिवासी समुदाय के रीति रिवाज अलग होते हैं। इसलिये हम इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं।
मालूम हो कि इस योजना के तहत सेंधवा में 19 फरवरी को होने वाले कार्यक्रम में लगभग 1100 जोड़े विवाह सूत्र में बंधने जा रहे हैं। इनमें स्थानीय आदिवासी जोड़े भी शामिल हैं।
नाग ने दावा किया कि परम्परागत तौर पर स्थानीय आदिवासी समुदाय में विवाह होली के बाद ही होते हैं। नाग ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेज कर स्थानीय आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिये इसमें हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
भाजपा के स्थानीय नेता ने नाग के दावे का खंडन किया है। भाजपा के आदिवासी प्रकोष्ठ की स्थानीय इकाई के अध्यक्ष दशरथ कलमे ने कहा, कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थवश इस कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। भील आदिवासियों स्थानीय आदिवासी में होली के बाद ही विवाह आयोजित करने की कोई परम्परा नहीं है। इस योजना के तहत हो रहा सामूहिक विवाह का आयोजन समाज में प्रचलित रिवाजों के अनुसार ही हो रहा है।
जिला प्रशासन ने सामूहिक विवाह कार्यक्रम के विरोध के प्रति अनभिज्ञता दर्शाई है।
पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के उप संचालक बी सी जैन ने कहा, इस योजना के तहत विवाह हेतु पंजीयन परिवारों ने स्वयं करवाया है।
प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत गरीब परिवारों को लड़की, विधवा और तलाकशुदा महिला के विवाह व्यय और घरेलू समान खरीदने के लिये 15,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। भाषा