काफी अरसे से ये लोग गांव के करीब वाले कस्बे बल्लभगढ़ की मदरसे और उसके आसपास रहे थे। लेकिन ये सब के सब गांव जाना चाहते हैं। इसलिए अब इन्होंने तय किया है कि एक साथ रहेंगे तो न्याय पाना आसान रहेगा। इनका नेतृत्व कर रहे साबिर अली का कहना है ‘कैंप में एक साथ रहेंगे तो मशविरा करना आसान रहेगा।’ अली के अनुसार जब तक अटाली मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो जाती वह कैंप में ही रहेंगे। कैंप में इन तमाम पीड़ित मुसलमानों को लाने का जिम्मा ऑल इंडिया तंजिम-ऐ-इंसाफ ने लिया है। इसके सचिव अमीक जामई बताते हैं ‘एक ही कैंप में महिलाओं और पुरुषों के रहने की अलग-अलग व्यवस्था की जा रही है। इसका मकसद किसी को लामबंद करना नहीं है बल्कि एक पीड़ित वर्ग को न्याया दिलवाना है।’ अमीक के अनुसार कुछ दिन पहले ये लोग इसी मुद्दे को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिले थे लेकिन उन्होंने किसी की भी गिरफ्तारी का भरोसा नहीं दिया। अटाली वाले मामले में 14 लोग नामजद हैं।
साबिर अली के कहना है कि जब तक दंगाइयों की गिरफ्तारी नहीं होती उनमें खौफ है कि वे घर नहीं जा सकते। फिरोज मुज्जफर का कहना है कई मुस्लिम बड़े नेता भी इस मामले में कुछ नहीं बोल रहे हैं क्योंकि उन्हें इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। शायद अटाली के गरीब खेत मजदूर मुसलमान इनका वोटबैंक नहीं हैं, इसलिए उन्हें इन मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है।
दूसरी ओर मेवात के मुस्लिम नेता मोहम्मद इब्राहिम का कहना है कि वे लोग मेवात में जाट और गूजर समुदाय से बात कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि वे लोग अटाली में हिंदू समुदाय के लोगों को समझाएं ताकि वे लोग मुसलमानों के गांव आने पर आपत्ति न करें।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    