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नमाज मस्जिद या ईदगाह में अदा हो, लेकिन बाकी धर्मावलंबियों पर भी यह लागू हो: तस्लीमा नसरीन

भारत में रह रहीं बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने मस्जिद या ईदगाह से बाहर नमाज पढ़ने...
नमाज मस्जिद या ईदगाह में अदा हो, लेकिन बाकी धर्मावलंबियों पर भी यह लागू हो: तस्लीमा नसरीन

भारत में रह रहीं बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने मस्जिद या ईदगाह से बाहर नमाज पढ़ने के मसले पर ट्वीट किया है। पिछले दिनों हरियाणा के गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने से रोकने के मामले सामने आए थे। तस्लीमा नसरीन के इस ट्वीट को इसी मुद्दे से जोड़कर देखा जा रहा है।  

नसरीन ने अपने ट्वीट में कहा कि यह ठीक है कि नमाज मस्जिद या ईदगाह में ही पढ़ी जानी चाहिए लेकिन यह दूसरे धर्मावलंबियों पर भी लागू होना चाहिए। सार्वजनिक जगहों को बंद कर देना अच्छी बात नहीं है।

एक अन्य ट्वीट में तस्लीमा ने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस्लाम की जो आलोचना वास्तव में धर्मनिरपेक्षतावादियों और तर्कवादियों की ओर से आनी चाहिए, वह अति दक्षिणपंथियों या इस्लाम से नफरत करने वालों की ओर से की जाती है। धर्मनिरपेक्षता (धर्म से अलगाव) की मुस्लिम समाज को तत्काल आवश्यकता है। यह एक मुस्लिम हितैषी बयान है।"

पिछले हफ्ते हरियाणा के गुरुग्राम में हिंदूवादी संगठनों द्वारा कुछ इलाकों में नमाज पढ़ने के दौरान बाधा पैदा करने की खबरें आई थीं। तब हरियाणा के मुख्यमंत्री ने मस्जिद या ईदगाह में नमाज पढ़ने की बात की थी। उनके बयान पर हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने कहा था कि कभी कभार बाहर नमाज पढ़ना ठीक है पर कब्जा करने की नीयत से इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती

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