भारत में रह रहीं बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने मस्जिद या ईदगाह से बाहर नमाज पढ़ने के मसले पर ट्वीट किया है। पिछले दिनों हरियाणा के गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने से रोकने के मामले सामने आए थे। तस्लीमा नसरीन के इस ट्वीट को इसी मुद्दे से जोड़कर देखा जा रहा है।
नसरीन ने अपने ट्वीट में कहा कि यह ठीक है कि नमाज मस्जिद या ईदगाह में ही पढ़ी जानी चाहिए लेकिन यह दूसरे धर्मावलंबियों पर भी लागू होना चाहिए। सार्वजनिक जगहों को बंद कर देना अच्छी बात नहीं है।
Namaz should be offered at mosque and Eidgah. Makes sense. Should be applicable for other worshipers too. Blocking public places not good. pic.twitter.com/cs76oKVFf6
— taslima nasreen (@taslimanasreen) May 6, 2018
It is very unfortunate that critical scrutiny of Islam, what actually secularists and rationalists should have done, is done by extreme right wingers or Muslim haters. Secularization (separation from religion) of Muslim society is urgently needed. It's a pro Muslim statement.
— taslima nasreen (@taslimanasreen) May 7, 2018
एक अन्य ट्वीट में तस्लीमा ने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस्लाम की जो आलोचना वास्तव में धर्मनिरपेक्षतावादियों और तर्कवादियों की ओर से आनी चाहिए, वह अति दक्षिणपंथियों या इस्लाम से नफरत करने वालों की ओर से की जाती है। धर्मनिरपेक्षता (धर्म से अलगाव) की मुस्लिम समाज को तत्काल आवश्यकता है। यह एक मुस्लिम हितैषी बयान है।"
Not only Jinnah hall was renamed Surya Sen hall,in Bangladesh Jinnah Avenue was renamed Bangabandhu Avenue,Jinnah college was renamed Titumir college. Jinnah was not respected,cause he declared Urdu,only Urdu should be the state language of East Pakistan,where majority r Bengalis
— taslima nasreen (@taslimanasreen) May 7, 2018
पिछले हफ्ते हरियाणा के गुरुग्राम में हिंदूवादी संगठनों द्वारा कुछ इलाकों में नमाज पढ़ने के दौरान बाधा पैदा करने की खबरें आई थीं। तब हरियाणा के मुख्यमंत्री ने मस्जिद या ईदगाह में नमाज पढ़ने की बात की थी। उनके बयान पर हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने कहा था कि कभी कभार बाहर नमाज पढ़ना ठीक है पर कब्जा करने की नीयत से इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती
Occasionally agar kisi ko padhni pad jaati hai to dharm ki aazaadi hai.Lekin kisi jagah ko kabza karne ki niyat se namaaz padhna galat hai.Uski ijazat nahi di jaa sakti:Haryana Min Anil Vij on CM ML Khattar's statement that Namaz should be read in Mosques/Idgahs,not public spaces pic.twitter.com/hiV3LkcYvs
— ANI (@ANI) May 7, 2018