अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस द्वारा पंजाब की श्रम अधिकार कार्यकर्ता नौदीप कौर को पुलिस हिरासत में यातना का मुद्दा उठाए जाने के बाद पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को नौदीप को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। पिछले ढेड महीने से करनाल जेल में न्यायिक हिरासत में रखी गईं दलित मजदूर अधिकार कार्यकर्ता 23 वर्षीय नौदीप कौर का साथी शिव कुमार भी न्यायिक हिरासत मेंं हैं। शिव कुमार और नौदीप कौर न्यायिक हिरासत से पहले हरियाणा पुलिस के सीआईए विंग द्वारा अमानवीय यातनाएं िदए जाने के आरोप हैं। शिव कुमार के परिजनों का अारोप है कि हिरासत में उसके पैरों के नाखुन तक उखाड़े गए है और एक हाथ व टांग भी तोड़ दी गई हैं। ऐसे ही आरोप नौदीप के परिजनों ने पुलिस पर लगाते हुए उसके यौन उत्पीड़न की आंशका भी जताई है।
सफाई में पुलिस ने यह भी कहा कि उन्होंने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को पुलिस अधिकारियों द्वारा किसी भी हमले के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया, जिनके सामने उन्हें करनाल जेल ले जाने से पहले पेश किया गया था। नाैदीप कौर के परिजनांे का कहना है कि उन्हें एक कारखाने के पास विरोध प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार किया गया था वहीं पुलिस का दावा है कि वह और मजदूर संघ के अन्य सदस्य कर्मचारियों को वेतन न दिए जाने की आड़ में अवैध जबरन वसूली के उद्देश्य से कुंडली में एक कारखाने में घुसने की कोशिश कर रही थीं। पुलिस ने आरोप लगाया कि जब पुलिस के अधिकारी मध्यस्थता करने पहुंचे तो लाठी और डंडों से लैस संगठन के सदस्यों ने उन पर हमला किया जिससे सात पुलिसकर्मी घायल हो गए।
नौदीप के खिलाफ दर्ज मामले में पुलिस ने आरोप लगाया, ‘नवदीप नवंबर में सिंघू पर (किसानों के) आंदोलन में शामिल हुई थीं। वह उन मजदूरों के लिए भी लड़ रही थीं, जिन्हें नियमित रूप से मजदूरी नहीं मिलती थी। 12 जनवरी को कुंडली में एक कारखाने के पास विरोध पर्दशन मंे नौदीप और उनके साथी मजदूर संगठन कार्यकर्ताओं ने पुलिस पार्टी पर हमला कर सात पुलिस कर्मियों को जख्मी कर दिया। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने नौदीप और उनके सार्थियांे का हिरासत में जिला अदालत में पेश किया जहां जमानत नामंजूर की गई। आईपीसी की धारा 307 के तहत दर्ज हत्या के प्रयास मामले में जमानत खारिज करते हुए सोनीपत के सत्र न्यायाधीश ने कहा था कि कौर पैसे और धमकियों के जबरन वसूली से संबंधित दो एफआईआर का पहले से ही सामना कर रही हैं। अपराध की गंभीरता को देखते हुए आवेदक जमानत की रियायत के लायक नहीं है और जमानत अर्जी खारिज की जाती है। याचिका खारिज होने पर परिजनों ने हाईकोर्ट मेंं जमानत की अर्जी लगाई।
नौदीप कौर का मसला उठाने से पहले ही किसान आंदोलन को समर्थन करने की वजह से ट्रोलिंग का शिकार हुईं मीना हैरिस ने बीते छह फरवरी को ट्वीट किया था, ‘अतिवादी भीड़ द्वारा अपनी फोटो जलाया जाना देखकर अजीब लगा।कल्पना कीजिए कि अगर हम भारत में रहते हैं तो ये लोग क्या कहते कि मजदूर अधिकारी कार्यकर्ता नौदीप कौर पर गिरफ्तार किया गया और पुलिस हिरासत में उन्हें प्रताड़ित तथा उनका यौन उत्पीड़न किया गया। करीब ढेड महीने से उन्हें बिना जमानत के जेल में प्रताड़ित किया गया। इस बीच सोनीपत पुलिस ने अवैध हिरासत और उत्पीड़न के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित होने वाले आरोपों से इनकार किया। पुलिस ने कहा कि पुलिस स्टेशन में उन्हें पूरे समय महिलाओं के वेटिंग रूम में रखा गया था और उनके ठहरने की पूरी अवधि के दौरान उनके साथ दो महिला पुलिसकर्मी भी थीं। पुलिस का दावा है कि करनाल सिविल अस्पताल में एक सामान्य मेडिकल जांच और यौन उत्पीड़न के लिए एक महिला चिकित्सक द्वारा एक विशेष मेडिकल जांच के बाद नौदीप ने खुद लिखित में दिया कि वह अपनी मेडिकल जांच नहीं करवाना चाहती हैं क्योंकि उनके साथ मारपीट नहीं की गई थी।
पंजाब के मुक्तसर में मजदूर परिवार में जन्मीं नौदीप कौर स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेना चाहती थीं, लेकिन जब उनके परिवार को आर्थिक परेशानी हुई तो उन्हें रोजगार के लिए हरियाणा के कंुडली की एक फैक्टरी में काम करना पड़ा। दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहीं नौदीप की बहन ने कहा, ‘दिसंबर में उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने किसानों के साथ विरोध करना महंगा पड़ा। नौदीप की रिहाई के लिए आम पार्टी ने हरियाणा सरकार पर जेल प्रशासन पर लगातार दबाव बनाया हुआ था।