कोरोना काल में आर्थिक तंगी का सामना कर रही झारखंड सरकार को केंद्र ने बिजली का झटका दिया है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने डीवीसी ( दामोदर घाटी निगम) के बिजली बकाया मद में करीब 5608.32 करोड़ की राशि 15 दिनों के भीतर चुकाने का नोटिस पकड़ाया है। 26 सितंबर को यह मियाद खत्म होगी। राशि अदा नहीं करने पर केंद्र राज्य सरकार के खजाने से राशि खुद काट लेगा।
इधर राज्य के ऊर्जा सचिव सह झारखंड ऊर्जा विकास निगम के प्रबंध निदेशक अविनाश कुमार ने आउटलुक से कहा कि केंद्र की नोटिस मिली है। सरकार विचार कर रही है। केंद्र से बातचीत होगी, सारे आप्शन खुले हैं। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने केंद्र के इस आदेश को गुंडागर्दी करार दिया है। कहा है कि केंद्र अगर पैसा काट लेगा तो हम भी सख्त कदम उठाने को मजबूर होंगे। यहां से केंद्र को जाने वाले संसाधन रोक सकते हैं। इस मसले पर आने वाले दिनों में टकराव बढ़ सकता है।
कोराना काल में राज्य सरकार की माली हालत ठीक नहीं है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एनजीटी) ने बिना पर्यावरण स्वीकृति विधानसभा और उच्च न्यायालय भवन के निर्माण को लेकर करीब 130 करोड़ जुर्माना पहले से लगा रखा है। आर्थिक विकास योजनाओं का काम ठप है। विभिन्न निकासी पर रोक है। ऐसे में बिजली बकाया का नया झटका झारखंड सरकार को लगा है। दूसरी तरफ जीएसटी कंपनसेशन मद में केंद्र से राशि नहीं मिली है। राज्य सरकार ने करीब ढाई हजार करोड़ का दावा ठोक रखा है।
प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है। वहीं कोल इंडिया पर जमीन के एवज में बकाया कोई 40 हजार करोड़ का दावा मुख्यमंत्री कर रहे हैं। ऐसे में बिजली मद में बकाया साढ़े पांच हजार करोड़ से अधिक राशि समय पर नहीं देने पर राशि राज्य के खजाने से खुद काट लेने का फरमान राज्य को अखरने वाला है।
ऊर्जा मंत्रालय के अवर सचिव पीके सिन्हा ने झारखंड के प्रधान सचिव ऊर्जा के नाम भेजे पत्र में कहा है राज्य सरकार को डीवीसी से खरीदी गई बिजली के एवज में 15 दिनों के भीतर भुगतान करना है। भुगतान नहीं करने पर 2017 के त्रिपक्षीय समझौते के आलोक में राज्य सरकार के आरबीआइ के खाते से बकाया राशि चार किस्तों में काट ली जायेगी। पहली किस्त की 1417.50 करोड़ रुपये की राशि अक्टूबर माह में काटकर केंद्र के खाते में जमा कर दी जायेगी। यह सुझाव भी दिया गया है कि राज्य सरकार चाहे तो बिजली वितरण कंपनी के माध्यम से केंद्र के उपक्रम रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन से कर्ज लेकर बकाया की अदायगी कर सकती है। बता दें कि डीवीसी राज्य के सात जिलों में बिजली की आपूर्ति करता है। पहले भी बकाया राशि को लेकर बिजली आपूर्ति ठप करने का कदम उठा चुका है। ऐसे में बिजली संकट का नया खतरा भी पैदा हो सकता है।
इधर झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने आउटलुक से कहा कि जब से राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनी है केंद्र दुश्मनागत के भाव से व्यवहार कर रहा है। जीएसटी, कोयला, कोल इंडिया द्वारा ली गई जमीन के एवज में बकाया हजारों करोड़ केंद्र नहीं दे रहा और अपना बकाया खजाने से काटने की धमकी दे रही है। राज्य सरकार भी केंद्र पर दबाव बनायेगी। जरूरत पड़ी तो केंद्र को भेजे जाने वाले संसाधन पर रोक लगायेंगे। डीवीसी के बकाये को लेकर दबाव बनाना कहां तक उचित है, यह केंद्र की गुंडागर्दी है। कोरोना काल में सीमित संसाधनों के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिना केंद्रीय मदद के जनता की जरूरी जरूरतों को पूरा करने में जुटे हैं।