जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बैन को लेकर नीति आयोग ने सदस्य वीके सारस्वत ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कश्मीर में इटरनेट नहीं है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। ? वहां क्या ई-टेलिंग हो रही है? वहां इंटरनेट सेवा का इस्तेमाल 'गंदी फिल्में' देखने में ही होता था।
धीरूभाई अंबानी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में वार्षिक दीक्षांत समारोह के मौके पर सारस्वत मीडिया से बात कर रहे थे। राजनेताओं के जम्मू -कश्मीर दौरे को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'राजनेता कश्मीर क्यों जाना चाहते हैं? वे कश्मीर में भी दिल्ली की तरह सड़कों पर हो रहे विरोध प्रदर्शन को फिर से खड़ा करना चाहते हैं।'' उन्होंने कहा कि राजनेता विरोध प्रदर्शनों को हवा देने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।'
कश्मीर में प्रीपेड मोबाइल सेवाओं पर रोक हटी
सारस्वत का यह बयान ऐसे समय आया है जब जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घाटी में प्रीपेड मोबाइल सेवाओं पर पांच महीने से लगी रोक को हटाने का आदेश दिया है। बता दें कि 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने के साथ ही केंद्र सरकार ने वहां इंटरनेट के साथ मोबाइल और ब्रॉडबैंड सेवाओं पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। शनिवार को ही घाटी में सभी स्थानयी प्रीपेड मोबाइल सेवाओं की बहाली की गई है। वहां प्रीपेड कॉल, एसएमएस और 2जी इंटरनेट सेवाएं शुरू हो गई हैं।
दी ये सफाई
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जब उनसे उनके बयान के बारे में पूछा गया तो सफाई देते हुए सारस्वत ने कहा, 'मैं यह बात बता रहा हूं कि इंटरनेट कश्मीर में अगर नहीं है तो उससे अर्थव्यवस्था पर कुछ खास अंतर नहीं पड़ता।'