बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव की पेरोल की मांग वाली याचिका का विरोध करते हुए नीलम कटारा ने कहा कि हत्या के दोषी यादव को बिना किसी छूट के 30 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। चूंकि उच्चतम न्यायालय ने विकास यादव की विशेष अवकाश याचिका पर फैसला सुनाया है और नीतीश कटारा की हत्या का दोषी पाते हुए उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है, ऐसे मामले में शिकायतकर्ता होने के नाते उन्हें डर है कि अगर विकास यादव बाहर आता है तो वह उनकी और अन्य महत्वपूर्ण गवाहों की हत्या करा सकता है। साथ ही नीलम कटारा ने दोषी के किसी और देश फरार होने की भी आशंका जताई। उत्तर प्रदेश में अपनी पैतृक संपत्ति बेचने के लिए दो हफ्ते की पेरोल की मांग वाली विकास की याचिका का विरोध जताते हुए नीतीश कटारा की मां ने न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल के समक्ष एक हलफनामा दर्ज कराया है।
अदालत ने मामले में नीलम की याचिका पर विकास को जवाब दाखिल करने के लिए 9 मार्च की तारीख तय की है। पेरोल याचिका पर अदालत ने 27 जनवरी को नोटिस जारी कर नीलम से जवाब मांगा था जिसके जवाब में उन्होंने ये बातें कहीं। पिछले साल विकास यादव के 93 वर्षीय दादा की एंजीयोप्लास्टी के मद्देनजर उनसे मिलने के लिए उच्चतम न्यायालय ने विकास को सात दिन की पेरोल की इजाजत दी थी। गौरतलब है कि 5 फरवरी, 2015 को उच्च न्यायालय ने नीतीश हत्या मामले में विकास और उसके चचेरे भाई विशाल यादव की सजा आजीवन कारावास से बिना किसी छूट के 25 साल तक बढ़ा दी थी और मामले में सबूत नष्ट करने के लिए अतिरिक्त पांच साल की भी सजा सुनाई थी। इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने यादव के परिचित सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की भी आजीवन कारावास की सजा की अवधि बढ़ाकर बिना किसी छूट के 20 साल कैद की सजा कर दी थी।
इन तीनों को 16-17 फरवरी, 2002 की दरम्यानी रात में बिजनेस एक्जेक्यूटिव एवं आईएएस अधिकारी के बेटे नीतीश कटारा को अगवाकर उसकी हत्या करने के मामले में निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इन तीनों को नीतीश कटारा और भारती के बीच का प्रेम संबंध पसंद नहीं था। दो अप्रैल, 2014 को उच्चतम न्यायालय ने मामले को ऑनर किलिंग बताया और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। पिछले साल अगस्त में उच्चतम न्यायालय ने मामले में विकास और अन्य की सजा बरकरार रखी।