ताजा मामला होशंगाबाद का है। बुधवार देर शाम किसान नर्मदा प्रसाद ने मौत को गले लगा लिया। परिजनों की मानें, तो जिनसे नर्मदा प्रसाद ने कर्ज लिया है वह उसका ट्रैक्टर और पैसे भी ले गए हैं।
आपको बता दें कि जिले के बालाघाट थाना अंतर्गत बल्लारपुर में भी किसान ने कर्ज से परेशान होकर जहर खा लिया था। जिसकी जिला अस्पताल में मौत हो गई। बताया जाता है कि किसान रमेश बसेने पर सोसायटी का लगभग डेढ़ से दो लाख रुपए कर्ज था।
वहीं हाल ही में बुधनी में भी एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी। बता दें कि मध्य प्रदेश की बुधनी विधान सभा सीट का प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करते हैं। पुलिस के अनुसार, 55 वर्षीय किसान, ग्राम जजना तहसील रेहती जिला सीहोर के निवासी है। रेहती पुलिस स्टेशन के अनुसार, दुलचंद कीर ने सोमवार को जहरीले पदार्थों का सेवन कर आत्महत्या की।
"दुलचंद कीर ने सोमवार को जहरीले पदार्थ का सेवन कर आत्महत्या की है। पूरे मामले की जांच के बाद ही पता चल पायेगा की उन्होंने आत्महत्या किन कारणों से की है" पंकज गीते, रेहटी पुलिस थाना इंचार्ज ने बताया।
आम आदमी पार्टी के मध्य प्रदेश इकाई के अनुसार किसान के ऊपर 6 लाख रुपये का कर्ज था। किसान ने बैंक से 4 लाख रुपये का कर्ज ले रखा था और 2 लाख रुपये का क़र्ज़ साहूकार (स्थानीय व्यापारी) से लिया हुआ था।
पार्टी के अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है की उनकी सरकार ही किसान की मौत की जिम्मेदार है। इस बीच होशंगाबाद जिले में भी एक किसान के आत्महत्या करने की खबर है।
बताया गया है कि 68 वर्षीय मोहन लाल डिगोलिया, सिवनी माल्वा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत गांव भैरवपुर ने पेड़ से लटका कर आत्महत्या की है।मृतक के बेटे राकेश लोहवंशी का आरोप है कि उनके पिता पिछले कई दिनों से दबाब में थे क्योकि वे लगभग 7 लाख रुपये का क़र्ज़ चुका नहीं पा रहे थे। राकेश ने पत्रकारों को बताया कि"मेरे पिता बहुत उदास रहते थे, क्योकि उनके ऊपर कर्ज़ा था", पिछले दो वर्षों में उन्होंने लगभग 7 एकड़ जमीन भी क़र्ज़ उतारने के अंदाज़ से बेची थी, राकेश ने बताया। मध्य प्रदेश में किसानो की आत्महत्या कोई नई बात नहीं है।
इस साल फरवरी में, मध्य प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ कांग्रेस विधायक राम निवास रावत से एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, पिछले तीन महीनों में मध्य प्रदेश में 287 किसानों ने मध्य प्रदेश में आत्महत्या कर ली है। वहीं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल फरवरी से पिछले साल फरवरी के बीच मध्यप्रदेश में कम से कम 1,982 किसानों और खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की है।