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जम्मू-कश्मीर में शीघ्र तैनात किए जाएंगे एनएसजी कमांडो

जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए जल्द ही राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के कमांडो...
जम्मू-कश्मीर में शीघ्र तैनात किए जाएंगे एनएसजी कमांडो

जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए जल्द ही राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के कमांडो तैनात किए जाएंगे। अधिकारियों के अनुसार ब्लैक कैट के नाम से जाने जाने वाले एनसजी कमांडो की एक टीम कुछ समय पहले से ही मौजूद है और श्रीनगर के बाहरी इलाके में ट्रेनिंग कर रही है। इस बीच राज्य के राज्यपाल एनएन वोहरा ने शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। दूसरी ओर, 

समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार, आतंक रोधी ऑपरेशन चलाने के लिए राज्य में एनएसजी तैनात करने का फैसला गृह मंत्रालय ने हाल ही में लिया है। अधिकारी के अनुसार कमांडो के अनुकूलन कार्यक्रम खत्म हो जाने के तुरंत बाद उन्हें तैनात किया जाएगा। ये कहां तैनात किए जाएंगे इसका फैसला जम्मू-कश्मीर पुलिस करेगी।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा सरकार गिरने के बाद यहां बुधवार को राज्यपाल शासन लागू किया गया है। एनएसजी का गठन वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद किया गया था। ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान पंजाब के अमृतसर शहर में स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकवादियों का सफाया किया गया था। इस समय एनएसजी में करीब 7,500 जवान हैं।
'ब्लैक कैट' कमांडो को मुंबई में 26/11 को हुए आतंकी हमलों से, जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले से और गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में हुए आतंकी हमले से निपटने के लिए तैनात किया गया था। संसद में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में इस साल जनवरी से मार्च के मध्य तक आतंकी हिंसा की करीब 60 घटनाएं हुईं जिनमें 15 सुरक्षाकर्मी और 17 आतंकी मारे गए।

यासीन मलिक हिरासत में, मीरवाइज उमर फारुक नजरबंद

जम्मू-कश्मीर मे अलगाववादियों पर सख्ती बढ़ा दी गई है। इस क्रम में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मसिक को हिरासत में लेने के बाद हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मीरवाइज उमर फारूक को भी नजरबंद कर दिया गया है। मीरवाइज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नरम धड़े के अध्यक्ष हैं। अलगाववादी नेताओं को घाटी में विरोध-प्रदर्शनों की अगुवाई से रोकने के लिए ये कदम उठाए गए हैं। 

आम नागरिकों की कथित तौर पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मौत और वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या के विरोध में अलगाववादियों ने जॉइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) के बैनर तले गुरुवार को हड़ताल करने की घोषणा की थी। शुजात बुखारी और उनके दो निजी सुरक्षाकर्मियों की 14 जून को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 

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