अदालत ने हालांकि सरकार को भविष्य में कोई भी कार्रवाई करने से पहले इस योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर विचार करने के लिए कहा है। मुख्य न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की एक पीठ ने कहा कि हालांकि योजना के कार्यान्वयन से समाज के एक वर्ग को मुश्किल हो सकती है लेकिन न्यायिक समीक्षा के अधिकार को एेसे नीतिगत निर्णय के सुधार पर विचार करने के लिए नहीं बढ़ाया जा सकता।
पीठ ने कहा अधिसूचना के तहत रोक केवल 15 दिन की सीमित अवधि तक है और यह भी कहा गया है कि योजना को यह देखने के लिए लागू किया गया है कि क्या इससे प्रदूषण का स्तर घटता है या नहीं। यह देखते हुए हमारा विचार है कि इसमें इस अदालत के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
साथ ही अदालत ने 12 पृष्ठ के अपने आदेश में यह भी कहा कार्यान्वयन से भले ही समाज के एक वर्ग को परेशानी हो लेकिन न्यायिक समीक्षा के अधिकार को एेसे नीतिगत निर्णय के सुधार पर विचार करने के लिए या यह पता लगाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता कि क्या कोई और बेहतर विकल्प हो सकता है।