मुंबई में अब ऑटो चलाने का परमिट हासिल करने के लिए सिर्फ ऑटो चलाना ही नहीं बल्कि आवेदक को मराठी भाषा का ज्ञान भी आवश्यक है। महाराष्ट्र की भाजपा-शिवसेना सरकार मुंबई में ऑटो रिक्शा चालकों को परमिट देने में मराठी भाषा के ज्ञान को एक जरूरी शर्त बनाने जा रही है। यह शर्त एक नवंबर से लागू होगी। इस नए फैसले से राज्य की सरकार ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। सरकार के निर्णय की जानकारी देते हुए परिवहन मंत्री और शिवसेना नेता दिवाकर रावते ने बताया कि मुंबई में एक नवंबर से केवल मराठी भाषा बोलने वालों को ही ऑटो चलाने का परमिट दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुंबई में ऑटो रिक्शा चलाना है तो मराठी भाषा आनी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि परमिट जारी करने में दस्तावेजों की गहन जांच की जाएगी और इसमें मुंबईकरों को प्राथमिकता दी जाएगी।
गौरतलब है कि मुंबई में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की अच्छी खासी संख्या है जो ऑटो चालक हैं। नए फैसले के लागू होने से उनके सामने रोजगार का बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। इस फैसले से मुंबई में रहकर ऑटो चला रहे दूसरे राज्यों के हजारों लोगों को संभव है ऑटो चलाने के परमिट से हाथ धोना पड़े। परिवहन मंत्री दिवाकर रावते शिवसेना के नेता हैं जिसकी राजनीति की बुनियाद में क्षेत्रवाद और भाषा रही है। शिवसेना का जन्म ही मराठी बनाम गैर मराठी जैसे मुद्दों को राजनैतिक रूप से हवा देने के प्रयासों से हुआ है। शिवसेना का हमेशा से यह मानना रहा है कि मुंबई पर केवल मराठियों का अधिकार होना चाहिए और महाराष्ट्र में रहने वाले हर बाशिंदे को मराठी भाषा आनी ही चाहिए।