इशरत जहां और तीन अन्य के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में जमानत पर रिहा चल रहे पांडे करीब 18 महीने जेल में रह चुके हैं। इस समय मामला एक स्थानीय अदालत में लंबित है। पांडे ने पदभार संभालने के बाद गांधीनगर में कहा, मैं पिछले 35 सालों से गुजरात में पुलिस अधिकारी के तौर पर सेवा दे रहा हूं और मेरा रोम-रोम गुजरात के लिए है। मेरा एक ही काम है और वह है अपनी पूरी क्षमता के साथ राज्य के लोगों की सेवा करना।
इससे पहले गुजरात सरकार ने शुक्रवार की देर रात ठाकुर को पदभार से मुक्त करने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी और पांडे को पदभार सौंपा था। अधिसूचना के मुताबिक ठाकुर को भारत सरकार के अधीनस्थ सिविल डिफेंस एवं होम गार्ड विभाग में अग्निशमन सेवा महानिदेशक बनाया गया है। अधिसूचना के अनुसार, गुजरात भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के निदेशक श्री पी पी पांडे (आईपीएस गुजरात 1980) एसीबी निदेशक के पदभार के साथ 16 अप्रैल 2016 से गुजरात के पुलिस महानिदेशक एवं महानिरीक्षक का अतिरिक्त पदभार संभालेंगे। इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गिरफ्तारी के बाद निलंबित किए गए पांडे को पांच फरवरी, 2015 को रिहा होने के चार दिन बाद दोबारा सेवा में ले लिया गया था।
राज्य पुलिस डीजीपी के पद पर स्थायी नियुक्ति करेगी या पांडे के प्रभारी डीजीपी के कार्यकाल को जारी रखेगी, इसे लेकर अटकलें तेज हैं। वहीं पूर्व डीजीपी पी सी ठाकुर ने दिसंबर, 2013 में गुजरात के पुलिस प्रमुख का पदभार संभाला था। दिल्ली भेजे जाने के साथ उनकी आठ महीने की सेवा अभी शेष है। राज्य सरकार साफ तौर पर पटेल आरक्षण आंदोलन से निपटने के तरीके और राज्य में विधि व्यवस्था से जुड़े दूसरे मुद्दों को लेकर ठाकुर से नाराज चल रही थी।