पानसरे को इलाज के लिए कोल्हापुर से से मुंबई लाया गया था लेकिन फिर भी बचाया नहीं जा सका। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह कोहल्हापुर इलाक़े के कई जन-आंदोलनों के साथ ही मुख्य तौर पर टोल टैक्स विरोधी आंदोलन के लिए जाने जाते थे। वह भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) के नेता थे। उनकी उम्र 82 साल थी।
पुलिस उमा से मिली सूचना के आधार पर संदिग्धों के स्कैच तैयार करने में जुटी है। उमा की तबीयत सुधरी है और वह बोल पा रही हैं। हत्यारों का पता न लगा पाने की वजह से महाराष्ट्र सरकार पर कई सवाल उठ रहे हैं।
करीब अठारह महीने इसी तरह पुणे में अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता नरेन्द्र दाभोलकर की भी अनजान लोगों ने हत्या कर दी थी। अब तक उनके हत्यारों का सुराग भी नहीं लग पाया है। राज्य में इस तरह सामाजिक आंदोलनों से जुड़े लोगों की हत्या होना चिंताकी बात है।
कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने पनसारे के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि श्रमिक वर्ग और समाज के वंचित वर्ग ने एक नेता खो दिया है।
ठाकरे ने कहा, जब रिपोर्ट आई थी कि उन पर इलाज का असर हो रहा है तो सभी को उम्मीद थी कि वह आसानी से हार नहीं मानने वाले व्यक्ति हैं और इसमें भी वह जीतकर निकल आएंगे। उनके निधन से हम सभी बेहद दु:खी हैं।
उन्होंने कहा कि पनसारे ने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए संघर्ष को समर्पित कर दिया। उन्होंने पनसारे को बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और एक विचारक बताया।