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दीपक ठाकुर के साथ पप्पू यादव ने कर दिया खेल!, जानिए- बाढ़ मदद के नाम पर उनके गांव 'आथर' को गोद ले कैसे किया बड़ा 'मजाक'

जन अधिकार पार्टी (जाप) सुप्रीमो और पूर्व सांसद पप्पू यादव अक्सरहां कैमरे में दूसरों को मदद करते और...
दीपक ठाकुर के साथ पप्पू यादव ने कर दिया खेल!, जानिए- बाढ़ मदद के नाम पर उनके गांव 'आथर' को गोद ले कैसे किया बड़ा 'मजाक'

जन अधिकार पार्टी (जाप) सुप्रीमो और पूर्व सांसद पप्पू यादव अक्सरहां कैमरे में दूसरों को मदद करते और बाढ-बरसात में लोगों तक  सुविधा-राशन पानी मुहैया कराते नजर आते रहते हैं। लेकिन, बिग-बॉस सीजन 12 के फाइनल प्रतिभागी रहे दीपक ठाकुर के साथ पप्पू यादव ने राजनीतिक मजाक किया है! पिछले साल 2020 में आए बाढ़ में उनके गांव आथर को पप्पू यादव ने कथित तौर पर गोद लिया था। यादव ने कहा था कि इस गांव की समस्या अब उनकी समस्य है। दुर्भाग्य से इस साल भी ये गांव बाढ़ से ग्रसित है, लोग बांध और दूसरे सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर चुके हैं। लेकिन, इस गांव को कोई देखने वाला नहीं है। मुजफ्फरपुर में बहने वाली बूढ़ी गंडक नदी उफान पर है और इस गांव की पूरी आबादी डूब चुकी है।

आउटलुक को दीपक ठाकुर बताते हैं, "पिछले साल चुनाव से पहले इसी तरह या इससे बुरे हालात थे। पप्पू यादव मेरे गांव आए। हमलोगों ने उनसे अपनी समस्या कही और बताया कि यहां के लोगों को कुछ बुनियादी सुविधाएं- जैसे तिरपाल, टॉर्च आदी की जरूरत है। यदि आप मदद करना चाहते हैं तो इसे उपलब्ध करवा दें।" आगे दीपक ठाकुर पप्पू यादव पर आरोप लगाते हुए कहते हैं, "उन्हें लगा कि जो चीजें मांगी गई है उसकी कुल कीमत ढाई से तीन लाख रूपए होगी। क्योंकि एक तिरपाल 1200-1500 रूपए में आते हैं और दो से ढाई सौ परिवारों को इसकी जरूरत थी। इसलिए उन्होंने मेरे हाथ में 50,000 रूपए चुपके से थमा दिया। हम अचंभित रह गएं।"

दीपक ठाकुर के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे मुफ्त राशन योजना अंतर्गत मिलने वाले चावल में से पप्पू यादव ने सामुदायिक किचेन के लिए दस क्विंटल चावल दिए। लेकिन, जिस चीज की जरूरत गांव वालों की थी, वो नहीं दी गई। दीपक कहते हैं कि वो राजनीति प्रपंच में फंस गए थे। जिसकी वजह से लोग सोशल मीडिया पर लगातार उन्हें और उनके कामों को टारगेट करते हुए राजनीति से प्रेरित और उससे जोड़कर देख रहे थे।

इस साल भी ये और आस-पास के दर्जनों गांव बाढ की चपेट में है। घर के ऊपर से पानी की धार बह रही है। लोगों के पास खाने-पीने की चीजें उपलब्ध नहीं हैं और ना ही सरकार की तरफ से सुविधाएं मुहैया कराई गई है। लोगों का आरोप है कि सरकार, प्रशासन, अधिकारी- कोई उनकी सुध लेने के लिए नहीं आ रहा है। दीपक ठाकुर भी कहते हैं, "सोशल मीडिया पर मुहिम चलाकर, निजी फंड और अधिकारियों से अपील कर किसी भी तरह से लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। ना तो स्थानीय मुखिया मदद को आगे आ रहा है और ना ही स्थानीय प्रशासन। सभी अधिकारी अपने में मस्त हैं। किसी को कोई चिंता नहीं है। हम जिंदा बचे या नहीं। सभी अपने जेब भरने में लगे रहते हैं।"

बिग बॉस सीजन 12 के फाइनल प्रतिभागी रह चुके दीपक ठाकुर सरकारी अमला पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, "आखिर बाढ आने की नौबत ही क्यों पैदा की जाती है। क्या इसका कोई समाधान नहीं है।" आगे दीपक सलाह और अपील करते हुए कहते हैं, "क्या जिन राज्यों में पानी की कमी है। सुखे जैसे हालात हैं। वहां राज्य सरकार नदी को नदी से जोड़ या चैनल के माध्यम से अथवा कोई अन्य विकल्प निर्मित कर उन राज्यों तक पानी नहीं पहुंचा सकती है। हर साल लाखों लोग यहां के प्रभावित होते हैं और सरकार-अधिकारियों के बीच अरबों रूपए का खेल चलता है।"

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