गौरतलब है कि विधान परिषद की स्थानीय निकाय की 24 सीटें 17 जुलाई को रिक्त हो रही हैं। उन सभी के लिए इससे पहले चुनाव कराना जरूरी है। सभी सियासी दलों ने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी लेकिन पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद सियासी दलों में हड़कंप मच गया। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से यह जानना चाहा है कि इसकी वैधानिकता क्या है। दरअसल विधान परिषद के सदस्य देवेश चंद्र ठाकुर और वैद्यनाथ प्रसाद की ओर से इस चुनाव की वैधानिकता को लेकर याचिका दायर की गई थी।
याचिका पर हाईकोर्ट ने भारत के निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 20 जून तक हलफनामा दायर करने को कहा था। लेकिन राज्य सरकार और चुनाव आयोग की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान तीस जून तक इस पर स्पष्ट राय देने की बात कही है। दरअसल बिहार में कई सालों से पंचायतों के चुनाव नहीं होने के कारण स्थानीय निकाय कोटे की 24 सीटें लम्बे समय तक रिक्त रहींं। राज्य में पंचायतों के चुनाव होने के बाद इस कोटे की सीटों पर जब चुनाव हुए तो एक साथ सभी 24 सीटों पर निर्वाचन आयोग ने चुनाव करा दिया। संविधान के मुताबिक प्रत्येक दो वर्ष पर इस कोटे की एक तिहाई सीटें रिक्त होनी चाहिए, लेकिन एक साथ चुनाव होने के कारण ऐसा नहीं हो रहा है। इसी को लेकर याचिका दायर की गई थी।