निकाय चुनाव ख़त्म होते ही उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोगताओं को तेज झटका लगा है और विभिन्न क्षेत्रों में बिजली की दरों में औसतन 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उत्तर प्रदेश बिजली नियामक आयोग ने आज यहां 2017-18 में राज्य की बिजली दरों में 12.72 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की।
पिछले तीन वर्षों में यह सबसे अधिक बिजली दरों में वृद्धि है। 2015-16 और 2016-17 में औसतन बिजली दरों में वृद्धि करीब 5.47और 3.18 प्रतिशत रही थी।
हालांकि, प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र की बिजली दरों में कोई भी वृद्धि नहीं की गई है, जो कि सत्तासीन योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए उनके औद्योगिक विकास के रोडमैप को आगे बढ़ने में भी मदद करेगी।
आयोग ने ग्रामीण क्षेत्र के अनमीटर्ड घरेलू और अनमीटर्ड व्यावसायिक उपभोगताओं के लिए सबसे अधिक 63 प्रतिशत एवं 67 प्रतिशत की बिजली दरों में वृद्धि की गई है। यह वृद्धि ग्रामीण मीटर्ड उपभोक्ताओं के लिए काफी कम है, जिसका प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को अपने घर एवं प्रतिष्ठानों में बिजली के मीटर लगाने हेतु प्रेरित करना है।
वहीं, प्रदेश के शहरी घरेलू एवं व्यावसायिक उपभोक्ताओं के बिजली दरों में क्रमशः 8.49 प्रतिशत एवं 9.89 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
योगी सरकार ने पहले ही केंद्र के साथ 'पावर फॉर आल' डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके अंतर्गत सभी घरों में बिजली का कनेक्शन देने का प्लान है। इसके चलते 2019-20 तक प्रदेश में कुल बिजली कनेक्शन 1.80 करोड़ से बढ़कर 4 करोड़ होने का अनुमान है। नए उपभोक्ताओं में 2 करोड़ उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ेंगे।
आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष एस के अग्रवाल ने कहा कि भविष्य में ग्रामीण उपभोक्ताओं की बढ़ी हुई संख्या को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्र में सब्सिडी के आधार पर बिजली की आपूर्ति करना कठिन होगा, क्योंकि इस मद में राज्य साकार का कोई वित्तीय सहयोग नहीं होता है और सारा खर्च बिजली कंपनियों को उठाना पड़ता है और अंततः वह घाटे में चली जाती हैं।
बढ़ी हुई बिजली दरों अगले हफ़्तों से लागू होने की सम्भावना है।