महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के आंकड़ों पर संदेह जताया है। विधानमंडल में मॉनसून सत्र से पहले सरकार ने दोनों सदनों में राज्य के आर्थिक आंकड़े पेश किए हैं।
चव्हाण का कहना है कि राज्य सरकार भी केंद्र की मोदी सरकार की तरह आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रही है। राज्य में भाजपा की सरकार आंकड़ों की बाजीगरी से जनता को गुमराह कर रही है।
0.4 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद
महाराष्ट्र में मानसून सत्र सोमवार से शुरू हुआ है। इसी में 2018-2019 के आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े पेश किए गए थे। इन आंकड़ों में दर्शाया गया है कि महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था 2018-2019 के 7.5 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था 6.8 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। जबकि कम बारिश (सामान्य मानसून का 73.6 प्रतिशत) के कारण 2018-2019 के दौरान कृषि और संबद्ध गतिविधियों के क्षेत्र में 0.4 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है।
चव्हाण का कहना है कि रिपोर्ट के सबसे ज्यादा चिंताजनक आंकड़े कृषि विकास दर के हैं। उन्होंने पिछले साल के आंकड़ों की तुलना करते हुए बताया कि पहले अनुमान के मुताबिक 2017-18 में कृषि विकास दर में 8.3 प्रतिशत की गिरावट थी लेकिन इस साल संशोधित अनुमान में कृषि विकास दर में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। उनका कहना है कि कई कारणों से खेती का क्षेत्र चिंताजनक रहा है, इसके बावजूद इस क्षेत्र में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि संभव कैसे हुई यह जानना जरूरी है। उनका कहना है कि संशोधित अंदाज में 1 या दो प्रतिशत का अंतर तो हो सकता है लेकिन साल भर में ही यदि यह 11 फीसदी हो जाए तो आंकड़े संदेहास्पद हो जाते है।
उद्योगों की हालत भी खराब
चव्हाण ने राज्य में उद्योगों की स्थिति पर भी चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि महाराष्ट्र में 2014-15 में औद्योगिक विकास दर 8 प्रतिशत थी जबकि 2017-18 में यह घटकर 6.9 प्रतिशत रह गई है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि राज्य के वित्त मंत्री कह रहे हैं कि 2025 तक महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था भी बढ़ेगी। लेकिन उन्हें जनता को बताना चाहिए कि 7 या 7.5 प्रतिशत की विकास दर के साथ कैसे बढ़ेगी।
जनता के सामने लाएं सच्चाई
चव्हाण ने कहा, कि हम सब जानते हैं कि यह चुनाव को ध्यान में रख कर बनाया गया बजट है, इसमें आप जो चाहें घोषणा कर सकते हैं लेकिन सरकार को आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट की संख्या में छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है। चाहे बुनियादी ढांचा हो या बेरोजगारी संख्या इस बजट में इनके लिए कुछ भी नहीं कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से आए आंकड़ों के बारे में क्या कहा गया है कि बेरोजगारी का स्तर पिछले 45 वर्षों में सबसे ज्यादा है।