मणिपुर के जिरीबाम जिले में संदिग्ध उग्रवादियों द्वारा 59 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या किए जाने पर हुए विरोध-प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार ने वहां अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
सोइबम सरतकुमार सिंह का शव बरामद होने के बाद स्थानीय लोगों ने खाली पड़े झोपड़ों में आग लगा कर प्रदर्शन किया। इसके बाद राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार रात वहां निषेधाज्ञा लागू कर दी। स्थानीय लोगों द्वारा हत्या का विरोध जताने के बाद वहां स्थिति तनावपूर्ण रही।
जिरीबाम के जिलाधिकारी के कार्यालय द्वारा जारी किए गए आदेशों का हवाला देते हुए अधिकारी ने बताया, ''असामाजिक तत्वों की गैरकानूनी गतिविधियों के कारण यहां अशांति फैलने, दंगे भड़कने और मारपीट होने की संभावना है।''
स्थानीय प्रशासन ने पांच से अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने, आग्नेयास्त्र, लाठी-डंडे लेकर चलने...और जिले के राजस्व क्षेत्राधिकार के भीतर किसी भी व्यक्ति के अपने निवास स्थान से बाहर घूमने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सिंह बृहस्पतिवार को सुबह अपने खेत पर गया था, जहां से वह लापता हो गया। बाद में उसका शव बरामद किया गया। उन्होंने बताया कि सिंह पर किसी नुकीली चीज से हमला किया गया था।
स्थानीय लोगों ने हत्या के बाद जिरीबाम पुलिस थाने के बाहर विरोध जताया और मांग की कि चुनाव के मद्देनजर उनसे लिये गए लाइसेंसी हथियार अब उन्हें लौटा दिए जाएं। प्रशासन ने लोगों से जिले में शांति बनाए रखने की अपील की है।
जिलाधिकारी के कार्यालय द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है, ''जिरीबाम जिला कानून-व्यवस्था, शांति एवं सौहार्द की दृष्टि से कठिन समय का सामना कर रहा है।'' इसमें कहा गया कि समाज के सभी वर्गों से अपील की जाती है कि वे शांति एवं सौहार्द बनाए रखें तथा किसी भी गलत सूचना पर ध्यान न दें।
जिलाधिकारी ने जिरीबाम के पुलिस अधीक्षक से "अवांछित घटनाओं से बचने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने और सुरक्षाबलों को तैनात करने" का भी अनुरोध किया।
जिले में सुरक्षाबलों से तुरंत संपर्क करने के लिए असम राइफल्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, मणिपुर पुलिस और भारतीय रिजर्व बटालियन के अधिकारियों का एक संयुक्त नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है।
मणिपुर में पिछले साल से मई से जारी हिंसा से अब तक जिरीबाम अप्रभावित रहा है। यहां भी मेइती, मुस्लिम, नागा, कुकी और गैर-मणिपुरी लोग रहते हैं।
इम्फाल घाटी में रहने वाले मेइती और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी लोगों के बीच पिछले साल मई से जारी जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।