पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जाट आरक्षण मामले में एक बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने जाट समुदाय समेत 6 जातियों को आरक्षण देने पर रोक बरकरार रखी है। कोर्ट ने इस मामले में नेशनल बैकवर्ड कमीशन से भी अपनी रिपोर्ट देने को कहा है।
Constitutional validity of the Haryana Backward Classes Act 2016 upheld by Punjab & Haryana HC: AAG Haryana Lokesh Singhal pic.twitter.com/Ip1vKpX1Bn
— ANI (@ANI) September 1, 2017
हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल लोकेश सिंघल ने कहा कि सरकार द्वारा बनाया गया बैकवर्ड क्लास कमीशन तय करेगा कि जाटों समेत 6 जातियों को कितने प्रतिशत आरक्षण देना है। इसके बारे में सरकार डेटा इकट्ठा कर कमीशन को देगी और उसके बाद कमीशन 31 मार्च 2018 को अंतिम फैसला देगा। एएजी ने जोर देते हुए कहा कि आरक्षण रद नहीं हुआ। कोर्ट ने माना है कि सरकार आरक्षण दे सकती है, लेकिन कितने प्रतिशत देना है इस बारे में चर्चा हो रही है।
Punjab & Haryana HC directed state govt to place before Backward Class Commission data collected by it or... : AAG Haryana Lokesh Singhal
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कोर्ट जाटों और अन्य समुदायों को हरियाणा में 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। कोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले में मार्च में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में खट्टर सरकार ने हरियाणा पिछड़ा वर्ग (सेवा और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण) एक्ट, 2016 का बचाव किया था। हालांकि इस आरक्षण को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए 50 प्रतिशत सीमा को लांघता है। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।
वहीं अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट के फैसले पर निराशा व्यक्त की है। समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया में कहा कि जाट समाज को इस फैसले से निराशा हुई है। उन्होंने कहा कि न्यायालय को आरक्षण को लेकर आज फैसला देना था लेकिन पिछड़ा वर्ग आयोग से आंकड़े मांग कर उसने मामले को एक बार फिर लटका दिया है।
इस बीच समिति ने 3 सितम्बर को झज्जर में रैली आयोजित करने का एलान किया है जिसमें जाट नेताओ के भाग लेने की उम्मीद है। गौरतलब है कि फरवरी, 2016 में हुए हिंसक जाट आंदोलन में लगभग 30 लोगों की मौत हो गई थी और 300 से ज्यादा घायल हो गए थे। इस दौरान हजारों करोड़ रुपये की सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ था.