पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को लंबी खींचतान के बाद नवजोत सिंह सिद्धू का मंत्रीपद से इस्तीफा मंजूर कर लिया है। अब इसे राज्यपाल की मंजूरी और अन्य जरूरी कार्यवाही के लिए भेजा गया है। पिछले रविवार को पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना इस्तीफा पंजाब के मुख्यमंत्री को भेजने की जानकारी ट्वीट के जरिए दी थी, लेकिन सीएम ने उनका इस्तीफा नहीं मिलने की बात कही थी। अगले दिन सीएम ऑफिस ने इस्तीफा मिलने की पुष्टि की थी।
सिद्धू ने 10 जून को राहुल गांधी को भेजा था इस्तीफा
इससे पहले रविवार को सिद्धू ने 10 जून को पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नाम से संबोधित इस्तीफा दे दिया था। रविवार को उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया था। इसके बाद से सिद्धू ने मुख्यमंत्री अमरिंदर को जल्द इस्तीफा भेजने की जानकारी सोशल मीडिया पर दी थी। सिद्धू जनवरी 2017 में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे।
जून में सिद्धू एक कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंचे थे। इसके बाद 6 जून को अमरिंदर ने उनका विभाग बदल दिया। सिद्धू से महत्वपूर्ण माना जाने वाला स्थानीय शासन विभाग ले लिया गया और उन्हें बिजली एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग का प्रभार दिया गया था। हालांकि, सिद्धू ने नए मंत्रालय का प्रभार नहीं संभाला। 10 जून को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली में मिले थे।
पत्नी को टिकट नहीं मिलने पर गहराया था विवाद
लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने अमरिंदर के खिलाफ नाराजगी जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें अमरिंदर की वजह से अमृतसर सीट से टिकट नहीं मिला। वहीं, सिद्धू ने भी पत्नी का समर्थन किया था। हालांकि, अमरिंदर ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था।
पाक सेना प्रमुख से गले मिलने पर कैप्टन ने जताया था विरोध
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण में सिद्धू के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर कैप्टन अमरिंदर ने विरोध जताया था। इसके बाद 2018 में जब सिद्धू करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास के दौरान पाकिस्तान गए तो अमरिंदर ने कहा था कि सिद्धू हाईकमान की परमिशन के बिना वहां गए हैं।
क्रिकेट से राजनीति तक सिद्धू
1983 से 1999 तक सिद्धू क्रिकेट खिलाड़ी रहे। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्हें भाजपा ने टिकट दिया। 2004 में वह अमृतसर की लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। हालांकि, जनवरी 2007 में पुराने गैर-इरादतन हत्या के मामले में कोर्ट का फैसला आते ही उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा दी। 2007 के उपचुनाव में भी सिद्धू ने अमृतसर सीट पर दोबारा जीत हासिल की थी। 2009 में उन्होंने अमृतसर सीट पर जीत हासिल की। मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को बरी कर दिया।