पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कोरोना वायरस के चलते केंद्र से व्यापक आर्थिक पैकेज मांगा है ताकि दैनिक वेतन भोगियों के साथ-साथ विभिन्न सैक्टरों से संबंधित उद्यमों व प्रभावित लोगों की मदद हो सके। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी तथा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को ज्ञापन भेजा है। इसमें उन्होंने आग्रह किया है कि उद्योग जगत, मध्यम इकाई के उद्यमों तथा संगठित तथा असंगिठत श्रमिकों की मदद के लिए पंजाब को भारत सरकार से आर्थिक मदद की जरूरत है।
कोरोना वायरस के चलते मुख्यमंत्री ने वित्तीय वर्ष को 31 मार्च से बढ़ाकर 30 अप्रैल करने की तत्काल मांग करते हुए कहा कि यह फैसला मध्यम इकाई के उद्यमों, पर्यटन तथा हॉस्पिटैलिटी सैक्टरों पर लागू होना चाहिए।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून-2013 के तहत दिए जाने वाले अनाज को 5 किलो प्रति व्यक्ति प्रति मास को बढ़ा कर 10 किलो कर दिया जाए। मुख्यमंत्री ने मनरेगा वर्करों के लिए वेतन का भुगतान की मांग भी की है। उन्होंने कहा है कि पंजाब सरकार कोविड-19 के कारण पैदा हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है मगर इसके आर्थिक दुष्प्रभाव सामने आ सकते हैं। कोविड-19 इकोनॉमिक रिस्पांस टास्क फोर्स को तुरन्त राज्य के प्रस्तावों का हल करने के निर्देश देने की मांग उठाई है।
मुख्यमंत्री ने सीतारमन को लिखे पत्र में पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते प्रभावित व्यापार, उद्योग, कारोबारी, कृषि तथा दैनिक मजदूरी वेतन श्रमिकों की समस्याओं का निदान किया जाए। उन्होंने पी.एम. मोदी से राज्य के लिए तुरन्त आॢथक पैकेज का ऐलान प्रस्तावों में इंडस्ट्री द्वारा लिए गए ऋणों पर ब्याज दरों में 2 प्रतिशत की कटौती की मांग उठाई है। पैट्रोल-डीजल तथा संबंधित उत्पादों पर एक्साइज व वैट दरों में न्यूनतम 25 प्रतिशत की कमी लाई जाए। एमएसएमई के लिए 25,000 करोड़ का विशेष श्रेणी फंड बनाया जाए।
प्रभावित अवधि में ब्याज दरों में ऋणों/सीसी लिमिट पर ब्याज को माफ किया जाए तथा जी.एस.टी. रिटर्नें भरने की तारीख को आगे डाला जाए। पर्यटन व होटल इंडस्ट्री, एविएशन इंडस्ट्री, मैनुफैक्चरिंग व अन्य सैक्टरों के लिए ब्याज दरों में 3 प्रतिशत की कटौती लाई जाए। प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में मुख्यमंत्री ने पंजाब के सीमावर्ती जिलों में स्थित औद्योगिक इकाइयों के लिए सीजीएसटी तथा इन्कम टैक्स में छूट देने की मांग भी की गई है। उन्होंने आटा चक्की मालिकों, दूध तथा चावल जैसी अनिवार्य वस्तुओं को
किराया सबसिडी देने की भी मांग की। उन्होंने एमएसएमई से 3 महीनों के लिए करों की वसूली को स्थगित करने का सुझाव दिया तथा कहा कि कारोबारियों व उपभोक्ताओं के प्रति बैंकों को लचीला रवैया अपनाना चाहिए। उन्होंने एनपीए नियमों में छूट देने तथा एमएसएमई को अस्थायी तौर पर मजदूरी सबसिडी देने की भी मांग की। उन्होंने होटल व हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री के लिए पूरी तरह से जीएसटी हॉली-डे पैकेज की मांग की।