लुधियाना से ही वे 2009 में लोकसभा सांसद बने थे। हालांकि, 2014 में उन्होंने खराब सेहत का हवाला देकर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। तिवारी ने राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत की अगुवाई में बनी स्क्रीनिंग कमेटी के सामने ये इच्छा जाहिर की है। सूत्रों के अनुसार तिवारी ने इसके लिए बाकायदा तैयारी भी शुरू कर दी है। वर्ष 2009 में मनीष तिवारी लुधियाना से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। वह मनमोहन सिंह सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्री रहे। लेकिन 2014 में बदले हुए हालात के दौरान उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। उन्होंने दावा किया था कि वे बीमारी की वजह से चुनाव नहीं लड़ेंगे। उस समय राजनीतिक हलकों में उनकी तरफ से चुनाव न लड़ने को लेकर काफी आलोचना हुई थी।
उनके विरोधियों ने उन पर आरोप लगाया था कि वे हार के डर से लुधियाना से चुनाव नहीं लड़ रहे। वहीं दूसरी तरफ मनीष तिवारी के इस फैसले को पंजाब के कुछ हिंदू नेताओं की ओर से किसी हिंदू को पंजाब का डिप्टी सीएम बनाए जाने की मांग से भी जोड़कर देखा जा रहा है। जानकारी के अनुसार यह मामला कुछ नेताओं ने चंडीगढ़ में पिछले दिनों हुई राज्य चुनाव कमेटी की मीटिंग में भी उठाया था।